200 साल पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ शà¥à¤°à¥€ पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन, राजघाट, कनखल आज à¤à¥‚ माफियाओं के निशाने पर आ गया है। इस अखाड़े के लगà¤à¤— 16 से शाखाà¤à¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤°à¥à¤· में सनातन धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° कर रही है।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°à¥¤ 200 साल पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ शà¥à¤°à¥€ पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन, राजघाट, कनखल आज à¤à¥‚ माफियाओं के निशाने पर आ गया है। इस अखाड़े के लगà¤à¤— 16 से शाखाà¤à¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤°à¥à¤· में सनातन धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° कर रही है। अनेक मठ, आशà¥à¤°à¤®, सà¥à¤•à¥‚ल, चिकितà¥à¤¸à¤¾ केंदà¥à¤° आदि पà¥à¤°à¤•à¤²à¥à¤ª के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बड़ा उदासीन अखाड़ा मानव सेवा करता आया है। किंतॠपिछले कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से इस अखाड़े में कई विवाद उà¤à¤°à¥‡ हैं। 2017 में अखाड़े के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– संत महंत मोहन दास रहसà¥à¤¯à¤®à¤¯ तरीके से गायब हो गठथे। जिसके पीछे संपतà¥à¤¤à¤¿ विवाद बताया जाता है। पà¥à¤²à¤¿à¤¸ आज तक इस मामले को सà¥à¤²à¤à¤¾ नहीं पाई है अà¤à¥€ à¤à¥€ जांच चल रही है। अà¤à¥€ à¤à¤• गà¥à¤ªà¥à¤¤ सूतà¥à¤° से à¤à¤¸à¥‡ तथà¥à¤¯ हाथ लगे हैं जिससे पता चलता है कि इस शà¥à¤°à¥€ पंचायती उदासीन अखाड़ा के चार पà¥à¤°à¤®à¥à¤– संतो में से à¤à¤• महंत ने हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° की à¤à¤• पà¥à¤°à¥‰à¤ªà¤°à¥à¤Ÿà¥€ को महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के दो बिलà¥à¤¡à¤°à¥‹à¤‚ को बेच दी है। पà¥à¤°à¤®à¥à¤– महंत दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ नियमों के विपरीत जाकर कनखल की बेची गई पà¥à¤°à¥‰à¤ªà¤°à¥à¤Ÿà¥€ कई करोड़ रà¥à¤ªà¤ की बताई जा रही है। सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• माने तो इस महंत ने दलालों के माधà¥à¤¯à¤® से गà¥à¤ªà¤šà¥à¤ª तरीके से कई संपतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को बेच डाला है। बताया जा रहा है कि महंत के पास अपने निजी नाम से बहà¥à¤¤ सारे पà¥à¤²à¥‰à¤Ÿ और à¤à¥€ है। महंत जी ने पिछले छः महीने में चार संपतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ बेची हैं। हमारे पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° ने जब à¤à¤• अखाड़े के à¤à¤• महामंडलेशà¥à¤µà¤° से बातचीत की और इस गà¥à¤ªà¤šà¥à¤ª संपतà¥à¤¤à¤¿ बेचने के विषय में जानकारी ली तो उसने बताया कि शà¥à¤°à¥€ पंचायती बड़ा अखाड़ा के संविधान के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° कोई à¤à¥€ महंत अपने निजी नाम से कोई संपतà¥à¤¤à¤¿ ना तो खरीद सकता है तो उसे बेचने का सवाल ही नहीं यदि अखाड़े की किसी संपतà¥à¤¤à¤¿ को बेचने का अपराध सिदà¥à¤§ हो जाता है तो उस महंत को अखाड़े से बाहर कर दिया जाà¤à¤—ा। इस अखाड़ा के मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि पौराणिक विचारधारा और विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जगत की रचना परमपिता परमेशà¥à¤µà¤° बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® ने की है और पà¥à¤°à¤²à¤¯ à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ की इचà¥à¤›à¤¾ से होगा. उस परमबà¥à¤°à¤¹à¥à¤® को मानने वाले, उसमें विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ और आसà¥à¤¥à¤¾ रखने वाले, जो मन से परबà¥à¤°à¤¹à¥à¤® में लीन हो जाà¤. उसे ही उदासीन कहा जाता है. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया कि, जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ सांसारिक वासनाओं और मोह माया से दूर होकर बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® का चिंतन और धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करता है, उसे उदासीन कहा जाता है। मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में जब उदासीन परंपरा विलà¥à¤ªà¥à¤¤ होने लगी, तो अविनाशी मà¥à¤¨à¤¿ ने इस परंपरा को फिर से जीवित किया। पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के इषà¥à¤Ÿ देव शिव सà¥à¤µà¤°à¥‚प à¤à¤—वान चंदà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤µ हैं। चंदà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤µ उदासीन संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ के 165वें आचारà¥à¤¯ à¤à¥€ हà¥à¤ थे। अखाड़े से जà¥à¥œà¥‡ सà¤à¥€ लोग और अखाड़े के साधà¥-संत उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ की आराधना करते हैं। अखाड़े के साधà¥-संत इषà¥à¤Ÿ देव के बताठरासà¥à¤¤à¥‡ पर चलकर मानव सेवा का कारà¥à¤¯ करते हैं। à¤à¤¸à¥‡ ही पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित अखाड़े के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– महंत के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ निजी पà¥à¤°à¤²à¥‹à¤à¤¨ का कारà¥à¤¯ निंदनीय है।