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शक्ति का केन्द्र बनें गायत्री शक्तिपीठ ः डॉ. पण्ड्या गुजरात, ओडिशा व दक्षिण भारत के प्रज्ञा संसà


हरिद्वार 03 अगस्त। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज की इकाई के रूप में देश भर में स्थापित प्रज्ञा संस्थानों के ट्रस्टियोंं का विशेष प्रशिक्षण व सम्मेलन का शृंखलाबद्ध कार्यक्रम का आज समापन हो गया।

रिपोर्ट  - 

शक्ति का केन्द्र बनें गायत्री शक्तिपीठ ःडॉ. पण्ड्या गुजरात, ओडिशा व दक्षिण भारत के प्रज्ञा संस्थानों के ट्रस्टियों का विशेष सम्मेलन का समापन गायत्री तीर्थ शांतिकुंज की इकाई के रूप में देश भर में स्थापित प्रज्ञा संस्थानों के ट्रस्टियोंं का विशेष प्रशिक्षण व सम्मेलन का शृंखलाबद्ध कार्यक्रम का आज समापन हो गया। इस शृंखला के अंतिम शिविर में गुजरात, ओडिशा व दक्षिण भारत के राज्यों के गायत्री शक्तिपीठ व प्रज्ञा संस्थानों के वरिष्ठ कार्यकर्त्तागण शामिल रहे। इससे पूर्व छत्तीसगढ़, मप्र, दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र, झारखण्ड, बिहार, पं. बंगाल सहित देश भर के प्रज्ञा संस्थानों के ट्रस्टियों का सम्मेलन व प्रशिक्षण शिविर आयोजित हुई। शिविर में शक्तिपीठ संचालकों की कार्यशैली व दायित्व विषय पर संबोधित करते हुए अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि पूज्य गुरुदेव पं.श्रीराम शर्मा आचार्यजी ने देश-विदेश में गायत्री शक्तिपीठों की स्थापना शक्ति केन्द्र के रूप में की है। यहाँ आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को उस शक्ति का अनुभव हों। इसके लिए शक्तिपीठों को आश्रम, देवालय, आरण्यक, गुरुकुल और इन सबका समन्वित संस्करण-तीर्थ के रूप में विकसित करना है। हमारे बहुत से प्रज्ञा संस्थान इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ट्रस्टी अर्थात सबसे विनम्र, विश्वासपात्र व कर्त्तव्यशील कार्यकर्ता। पावन गुरुसत्ता हम सभी से यही अपेक्षा रखते हैं और वर्तमान समय की भी यही माँग है। उन्होंने कहा कि शक्तिपीठों सहित सभी प्रज्ञा संस्थानों में विभिन्न रचनात्मक व सुधारात्मक कार्य सम्पन्न हों, इसके लिए आवश्यक है कि परिव्राजकों का चयन एवं प्रशिक्षण का कार्यक्रम समय-समय पर होते रहें। उन्होंने कहा कि नियमित साधना से आत्म शक्ति का जागरण होता है। श्रेष्ठ साहित्य के स्वाध्याय से वैचारिक शक्ति बढ़ती है। निःस्वार्थ भाव से की गयी सेवा से जन जागृति फैलती है। व्यवस्थापक श्री शिवप्रसाद मिश्र ने कहा कि शक्तिपीठों से साधनात्मक व रचनात्मक कार्यक्रमों के साथ-साथ ऐसे प्रशिक्षण शिविर का भी आयोजन हों, जहाँ से युवा पीढ़ी अपनी कौशल का विकास कर सकें। प्रज्ञा अभियान के संपादक श्री वीरेश्वर उपाध्याय ने कहा कि युगऋषि ने नवसृजन के लिए उपासना, साधना आराधना का सूत्र दिया है, उसका स्वयं पालन करें और जन-जन को इससे अवगत करायें। शांतिकुंज विधि प्रकोष्ठ के वरिष्ठ प्रतिनिधि श्री एचपी सिंह ने आयकर से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर जानकारी देते हुए इसमें पारदर्शिता के साथ कार्य करने की बात कही। श्री सिंह ने कहा कि गायत्री परिवार एक आदर्श स्थापित करने का काम करता है, इसलिए दान आदि के हिसाब में भी पूरी तरह पारदर्शिता होनी चाहिए। इस अवसर पर गुजरात, ओडिशा व दक्षिण भारत के राज्यों के आये प्रज्ञा संस्थान के ट्रस्टीगण, वरिष्ठ परिजन एवं शांतिकुंज के अनेक वरिष्ठ परिजन उपस्थित रहे।

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