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पर्यावरण अभियांत्रिकी पर देवस्य की विशेष शोध को मिला उत्कृष्ट स्थान


गायत्री विद्यापीठ शांतिकुंज के कक्षा ११ के छात्र देवस्य देसाई के पर्यावरण अभियांत्रिकी के क्षेत्र में किये जा रहे शोध को विशेष सराहना मिली। देवस्य के शोध का विषय ट्राइकोडर्मा उपचार के माध्यम से मानवीय मल को परिवर्तित कर किसानों के लिए उपयोगी बनाना है। इसके अलावा भी देवस्य देसाई कुछ अन्य विषयों पर भी देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या के निर्देशन में शोध में जुटा है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार २३ जनवरी। गायत्री विद्यापीठ शांतिकुंज के कक्षा ११ के छात्र देवस्य देसाई के पर्यावरण अभियांत्रिकी के क्षेत्र में किये जा रहे शोध को विशेष सराहना मिली। देवस्य के शोध का विषय ट्राइकोडर्मा उपचार के माध्यम से मानवीय मल को परिवर्तित कर किसानों के लिए उपयोगी बनाना है। इसके अलावा भी देवस्य देसाई कुछ अन्य विषयों पर भी देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या के निर्देशन में शोध में जुटा है। विगत दिनों राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद तथा यूकोस्ट ने बाल विज्ञान कांग्रेस आनलाइन आयोजित की थी। इसमें गायत्री विद्यापीठ शांतिकुंज के देवस्य के शोध को जिला स्तर पर उत्कृष्ट स्थान मिला है। शनिवार देर सायं परिषद के वरिष्ठ अधिकारी ने शांतिकुंज पहुंचकर देवस्य को मेडल एवं स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया। रविवार को शैलदीदी से भेंटकर उनसे आशीष एवं भविष्य के लिए मार्गदर्शन लिया। श्रद्धेया दीदी ने कहा कि वैचारिक क्षमता को बढ़ाने के लिए समय को सदैव सही उपयोग करते रहना चाहिए। गायत्री विद्यापीठ शांतिकुंज बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ उचित माहौल देने के लिए सदैव प्रयासरत है। इसी का परिणाम है कि गायत्री विद्यापीठ के बच्चे योग, कला, शोध सहित विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ रहे हैं। शांतिकुंज कार्यकर्ता कीर्तन देसाई के सुपुत्र देवस्य ने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय युगऋषि पं0 श्रीराम शर्मा आचार्य के आशीर्वाद एवं गायत्री परिवार प्रमुखद्वय श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी से मिले मार्गदर्शन को दिया। उनकी इस उपलब्धि पर गायत्री विद्यापीठ की व्यवस्था मण्डल की प्रमुख श्रीमती शेफाली पण्ड्या सहित विद्यापीठ एवं शांतिकुंज परिवार ने बधाई दी है। उल्लेखनीय है कि देवस्य ने एनीशिएटिव फॉर रिचर्स एण्ड इनोवेशन इन स्टेम (आईआरआईएस) में भी अपनी प्रतिभा को लोहा मनवाया है। इस बाल विज्ञान कांग्रेस के जनपद समन्वयक सुरेश चंद ने बताया की इस बार की कांग्रेस में सतत जीवन हेतु परितंत्र प्रौद्योगिकी अभी कल्पना विकास मॉडलिंग एवं योजना सामाजिक नवाचार जीवन हेतु पारंपरिक ज्ञान प्रणाली पर बाल विज्ञानियों द्वारा अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए गये।

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