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लड़कियों को उड़ने के लिये पंख दें पाबंदियाँ नहीं -स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर कहा कि वर्तमान समय में बेटियों को न केवल अपनी प्रतिभा को उजागर करने का अवसर दिया जाना चाहिए बल्कि आजादी के साथ अपना जीवन जीने और अपने सपनों को साकार करने का मौका भी प्रदान करना जरूरी है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 24 जनवरी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर कहा कि वर्तमान समय में बेटियों को न केवल अपनी प्रतिभा को उजागर करने का अवसर दिया जाना चाहिए बल्कि आजादी के साथ अपना जीवन जीने और अपने सपनों को साकार करने का मौका भी प्रदान करना जरूरी है। आज के दिन को पूरा विश्व शिक्षा दिवस के रूप में मना रहा है, ऐसे में वर्तमान समय में पूरी दुनिया के लगभग सभी बच्चे जो कोरोना महामारी से अत्यधिक प्रभावित हुए हैं उनके सम्पूर्ण सर्वांगीण विकास के लिये मिलकर कदम बढ़ाने की अत्यंत आवश्यकता है। इस महामारी के दौर में बच्चे विद्यालय नहीं जा पा रहे हैं, अपने हमउम्र दोस्तों से नहीं मिल पा रहे हैं परन्तु यही वर्तमान समय की मांग भी है इसलिये आईये विश्व शिक्षा दिवस के अवसर पर सुनिश्चित करंे कि न केवल हमारे बच्चे बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र के बच्चों के जीवन में सर्वांगीण विकास हो तथा उनकी सुरक्षा के साथ समझौता किए बिना उन्हें उचित और समुन्नत शिक्षा प्राप्त हो सके। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने ’’राष्ट्रीय बालिका दिवस’’ के अवसर पर कहा कि ‘कन्या है तो कल है।’ हमारी बेटियां और बेटे, दोनों के लिए प्रेम, देखभाल और अवसर हर समय समान रूप से उपलब्ध होने चाहिए। अब समय आ गया है कि बालिकाओं के अधिकारों का संरक्षण किया जाये तथा उन्हें उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान किये जाये ताकि उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों एवं कठिनाईयों का सामना करने के लिये वे स्वयं सक्षम हो सके। समाज को जागरूक करना होगा ताकि बालिकाओं और बालकों को समान अधिकार प्राप्त हो सके। ‘किशोरियों का सशक्तीकरण अर्थात समाज का नवजागरण’। ‘शिक्षित बेटी अर्थात एक कुशल महिला।’ कुशल व स्किल्ड नारी एक समृद्ध विश्व के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हंै।

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