Latest News

उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में देश का 73वाँ गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।


कुलपति ने कहा कि सारा राष्ट्र आज उनका कृतज्ञ है जिन्होंने देश के लिए जीवन अर्पण कर संविधान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ऐसे महापुरुषों से हमें भी प्रेरणा मिलती है कि हम सभी राष्ट्र के लिए बड़े कार्य करें।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में देश का 73वाँ गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर देवीप्रसाद त्रिपाठी ने प्रशासनिक भवन में ध्वजारोहण कर समस्त देशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि अब देश आत्मनिर्भर होने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। पूरे विश्व में भारतीयता का डंका बजने लगा है, आज हमारा देश भारत अपनी रक्षा करने में सक्षम है । कुलपति ने कहा कि सारा राष्ट्र आज उनका कृतज्ञ है जिन्होंने देश के लिए जीवन अर्पण कर संविधान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ऐसे महापुरुषों से हमें भी प्रेरणा मिलती है कि हम सभी राष्ट्र के लिए बड़े कार्य करें। कुलपति ने कहा कि हमारे वीर, शहीद, क्रांतिकारियों ने अपना सर्वोच्च बलिदान देकर देश को आजाद कराकर हम सबको स्वतंत्रता की श्वास लेने का अवसर दिया। अनेक रियासतों को एक सूत्र में पिरोने के साथ संविधान के रूप में एक व्यवस्था में चलने का हम सबने संकल्प लिया, उसे हम प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने कहा कि गणतंत्र दिवस समूह में समवेत रूप से एक व्यवस्था में बंधने का संकल्प है। यदि हम व्यवस्था में होते हैं तो राष्ट्र का निर्माण होता है, परिवार में एकरूपता व प्रेम बढ़ता है, जीवन भी उन्नत, पवित्र, दिव्य व महान हो जाता है। उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस मनाते समय हमारे भीतर नियम, मर्यादा व व्यवस्था की बात होनी चाहिए। आज का दिन यह सोचने का दिन है कि हम देश के लिए क्या कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश के 73वें गणतंत्र दिवस पर हम संकल्प लें कि कर्त्तव्य निर्वहन के लिए हम प्राणपण से स्वयं को अर्पण करेंगे। हम अधिकार नहीं, जिम्मेदारी के लिए तत्पर रहेंगे। हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दिनेश चमोला ने कहा कि राष्ट्र के लिए जीवन देना तो बड़ी बात है ही किन्तु एक संकल्प के लिए पूरा जीवन लगाना, जीवन का पल-पल संकल्प के लिए आहूत कर देना उससे भी बड़ा कार्य है। हमें प्रयास करना है कि विविध सेवा कार्यों में आलस्य, प्रमाद, स्वार्थ के कारण कोई न्यूनता न रह जाए। कार्यक्रम का संचालन, आयोजन संयोजक डॉ राकेश कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षकेत्तर कर्मचारी, आचार्य, सह आचार्य,सहायक आचार्य उपस्थित थे।

Related Post