परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने शेर ठपंजाब लाजपत राय की जयंती पर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¾à¤µà¤à¥€à¤¨à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि पंजाब के शेर ने जो कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ की मशाल जलायी थी उसने पूरे देश को रोशनी दी और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ के दिलों में सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ का दीप पà¥à¤°à¤œà¥à¤µà¤²à¤¿à¤¤ किया।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश, 28 जनवरी। परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने शेर ठपंजाब लाजपत राय की जयंती पर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¾à¤µà¤à¥€à¤¨à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि पंजाब के शेर ने जो कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ की मशाल जलायी थी उसने पूरे देश को रोशनी दी और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ के दिलों में सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ का दीप पà¥à¤°à¤œà¥à¤µà¤²à¤¿à¤¤ किया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी के संदेश को दोहराते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि “मेरे शरीर पर पड़ी à¤à¤•-à¤à¤• लाठी अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ सरकार के कफन में कील साबित होगी।’’ यह कथन सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ के महान उपासक लाला लाजपत राय जी ने अपने आखिरी à¤à¤¾à¤·à¤£ में कहा था। इस कथन ने ‘à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ आंदोलन’ को à¤à¤• संबल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया था। लाला लाजपत राय जी ने 19वीं सदी के अंत में अकाल और विपदा से जो à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤¯à¥‡ थे उनके कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिठकई कारà¥à¤¯ किये। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपना पूरा जीवन नारी शकà¥à¤¤à¤¿, विधवाओं à¤à¤µà¤‚ अनाथ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ और सेवा में लगाया तथा अछूतों के उदà¥à¤§à¤¾à¤° के लिये अछूतोदà¥à¤§à¤¾à¤° आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ चलाया। साथ ही à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨, असहयोग आंदोलन में पंजाब का नेतृतà¥à¤µ किया तà¤à¥€ से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ‘शेर-à¤-पंजाब’ की उपाधि से संबोधित किया जाने लगा। वे à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ ऊà¤à¤š-नीच के à¤à¥‡à¤¦ को समापà¥à¤¤ करना थे और उसके लिये जीवन परà¥à¤¯à¤‚त कारà¥à¤¯ करते रहे। परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने कहा कि लाला जी को हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ के उपासक à¤à¥€ थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हिनà¥à¤¦à¥€ में शिवाजी, à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ और कई अनà¥à¤¯ महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की जीवनियाठलिखीं तथा हिनà¥à¤¦à¥€ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°-पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° हेतॠबहà¥à¤¤ बड़ा योगदान दिया। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ लागू करने के लिये उनà¥à¤¹à¤¾à¤‚ेने हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤° अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ à¤à¥€ चलाया था। आईये हिनà¥à¤¦à¥€ से जà¥à¥œà¤•à¤°; हिनà¥à¤¦à¥€ को दिल से अपनाकर हम इस महान कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ को à¤à¤¾à¤µà¤à¥€à¤¨à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤œà¤‚लि अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कहा कि हिनà¥à¤¦à¥€ को संरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ करना नितांत आवशà¥à¤¯à¤• है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उसमें ही हमारी सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾, संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और हमारी पहचान समाहित है। संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ और हिनà¥à¤¦à¥€ में हमारे धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ और हमारा असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ समाहित हैं, अगर इसे संरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ नहीं किया तो आने वाली पीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिये अपने मूल और मूल गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ को जानना बहà¥à¤¤ मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² हो जायेगा। किसी देश या समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ व सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ को जानना और समà¤à¤¨à¤¾ है तो उसकी à¤à¤¾à¤·à¤¾ को समà¤à¤¨à¤¾ और संरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ करना अति आवशà¥à¤¯à¤• है इसलिये हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ का समृदà¥à¤§ होना बहà¥à¤¤ जरूरी है और हम सà¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤¾à¤¸à¥€ मिलकर इसे समृदà¥à¤§ और जीवंत बना सकते हैं।