चरक संहिता के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° हेमनà¥à¤¤ ऋतॠमें संचित हà¥à¤† कफ वसनà¥à¤¤ ऋतॠमें सूरà¥à¤¯ की किरणों से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ (दà¥à¤°à¤µà¥€à¤à¥‚त) होकर कà¥à¤ªà¤¿à¤¤ होता है जिससे वसनà¥à¤¤à¤•à¤¾à¤² में खाà¤à¤¸à¥€,सरà¥à¤¦à¥€-जà¥à¤•à¤¾à¤®, टॉनà¥à¤¸à¤¿à¤²à¥à¤¸ में सूजन, गले में खराश, शरीर में सà¥à¤¸à¥à¤¤à¥€ व à¤à¤¾à¤°à¥€à¤ªà¤¨ आदि की शिकायत होने की समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ रहती है।
रिपोर्ट - वैध दीपक कà¥à¤®à¤¾à¤°
चरक संहिता के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° हेमनà¥à¤¤ ऋतॠमें संचित हà¥à¤† कफ वसनà¥à¤¤ ऋतॠमें सूरà¥à¤¯ की किरणों से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ (दà¥à¤°à¤µà¥€à¤à¥‚त) होकर कà¥à¤ªà¤¿à¤¤ होता है जिससे वसनà¥à¤¤à¤•à¤¾à¤² में खाà¤à¤¸à¥€,सरà¥à¤¦à¥€-जà¥à¤•à¤¾à¤®, टॉनà¥à¤¸à¤¿à¤²à¥à¤¸ में सूजन, गले में खराश, शरीर में सà¥à¤¸à¥à¤¤à¥€ व à¤à¤¾à¤°à¥€à¤ªà¤¨ आदि की शिकायत होने की समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ रहती है। जठरागà¥à¤¨à¤¿ मनà¥à¤¦ हो जाती है अतः इस ऋतॠमें आहार-विहार के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सावधान रहें। वसनà¥à¤¤Â ऋतà¥Â में आहार-विहारः इस ऋतॠमें कफ को कà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करने वाले पौषà¥à¤Ÿà¤¿à¤• और गरिषà¥à¤ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ की मातà¥à¤°à¤¾ धीरे-धीरे कम करते हà¥à¤ गरà¥à¤®à¥€ बढ़ते हà¥à¤ ही बनà¥à¤¦ कर के सादा सà¥à¤ªà¤¾à¤šà¥à¤¯ आहार लेना शà¥à¤°à¥ कर देना चाहिà¤à¥¤ चरक के सादा सà¥à¤ªà¤¾à¤šà¥à¤¯ आहार लेना शà¥à¤°à¥ कर देना चाहिये। चरक के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° इस ऋतॠमें à¤à¤¾à¤°à¥€, चिकनाईवाले, खटà¥à¤Ÿà¥‡ और मीठे पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का सेवन व दिन में सोना वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ है। इस ऋतॠमें कटà¥, तिकà¥à¤¤, कषारस-पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ दà¥à¤°à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का सेवन करना हितकारी है। पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ वायà¥à¤¸à¥‡à¤µà¤¨ के लिठघूमते समय 15-20 नीम की नई कोंपलें चबा-चबाकर खायें। इस पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— से वरà¥à¤·à¤à¤° चरà¥à¤®à¤°à¥‹à¤—, रकà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤•à¤¾à¤° और जà¥à¤µà¤° आदि रोगों से रकà¥à¤·à¤¾ करने की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤°à¥‹à¤§à¤• शकà¥à¤¤à¤¿ पैदा होती है। यदि वसनà¥à¤¤ ऋतॠमें आहार-विहार के उचित पालन पर पूरा धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिया जाय और बदपरहेजी न की जाये तो वरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ काल में सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ की रकà¥à¤·à¤¾ होती है। साथ ही गà¥à¤°à¥€à¤·à¥à¤® व वरà¥à¤·à¤¾ ऋतॠमें सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ की रकà¥à¤·à¤¾ करने की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ हो जाती है। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• ऋतॠमें सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से यदि आहार का महतà¥à¤µ है तो विहार à¤à¥€ उतना ही महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है। इस ऋतॠमें उबटन लगाना, तेलमालिश, धूप का सेवन, हलà¥à¤•à¥‡ गरà¥à¤® पानी से सà¥à¤¨à¤¾à¤¨, योगासन व हलà¥à¤•à¤¾ वà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤® करना चाहिà¤à¥¤ देर रात तक जागने और सà¥à¤¬à¤¹ देर तक सोने से मल सूखता है, आà¤à¤– व चेहरे की कानà¥à¤¤à¤¿ कà¥à¤·à¥€à¤£ होती है अतः इस ऋतॠमें देर रात तक जागना, सà¥à¤¬à¤¹ देर तक सोना सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के लिठहानिपà¥à¤°à¤¦ है। हरड़े के चूरà¥à¤£ का नियमित सेवन करने वाले इस ऋतॠमें थोड़े से शहद में यह चूरà¥à¤£ मिलाकर चाटें। Vaid Deepak Kumar Adarsh Ayurvedic Pharmacy Kankhal Hardwar aapdeepak.hdr@gmail.com 9897902760