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समृद्धि व निर्मलता का प्रतीक है वसंत - डा पण्ड्या


गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में वसंतोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर अखिल विश्व गायत्री प्रमुखद्वय श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी ने विश्वभर के गायत्री साधकों को वासंती उल्लास की शुभकामनाएँ दीं। सरस्वती पूजन, गुरुपूजन एवं पर्व पूजन के साथ हजारों साधकों ने भावभरी पुष्पांजलि अर्पित कीं।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार ५ फरवरी। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में वसंतोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर अखिल विश्व गायत्री प्रमुखद्वय श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी ने विश्वभर के गायत्री साधकों को वासंती उल्लास की शुभकामनाएँ दीं। सरस्वती पूजन, गुरुपूजन एवं पर्व पूजन के साथ हजारों साधकों ने भावभरी पुष्पांजलि अर्पित कीं। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ.प्रणव पण्ड्या ने वसंत पंचमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक चलने वाले चालीस दिवसीय नवसृजन गायत्री महापुरश्चरण साधना के लिए देश-विदेश के हजारों साधकों को आनलाइन संकल्पित कराया। इस दौरान शांतिकुंज वीडियो मोबाइल एप के साथ विभिन्न साहित्यों का विमोचन किया गया। वसंतोत्सव के मुख्य कार्यक्रम को आनलाइन संबोधित करते हुए अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि वसंत का पर्व प्राणी मात्र में समृद्धि, सुन्दरता एवं निर्मलता का द्योतक है। इस दिन ज्ञान की देवी माता सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है, जिससे विचार में प्रखरता आये और वह सकारात्मक दिशा में ही आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. पण्ड्या ने कहा कि वसंत ज्ञान चेतना का महापर्व है। प्रकृति और जीवन का शृंगार करता है वसंत। प्रकृति व परमेश्वर के मिलन का पर्व है। उन्होंने कहा कि इन दिनों वासंती संस्कृति पूरे विश्व में दिखाई दे रही है। लोगों में जब संस्कृति आती है, तब उनमें उदारता, सेवाभाव जैसे सद्गुण विकसित होने लगते हैं। संस्था की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि वसंत प्रेरणाओं का पावन दिन है। साथ ही ज्ञान की देवी माँ सरस्वती का अवतरण दिन है और इन्हीं से ज्ञान का विस्तार हुआ। शैलदीदी ने कहा कि भौतिक संपदा की तुलना में आत्मिक व आध्यात्मिक प्रगति का महत्त्व ज्यादा है। उन्होंने कहा कि अवतारी सत्ताओं के कार्य को पूज्य आचार्यश्री ने इस युग में आगे बढ़ाने का कार्य किया है। श्रद्धेया शैलदीदी ने युग निर्माण मिशन का आधार साहित्य एवं साधना को बताया। इस अवसर पर श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या व श्रद्धेया शैलदीदी ने गीत संगीत स्वरमालिका, युगगीता (अंग्रेजी) भाग-एक, युगऋषि द्वारा रचित साहित्यों का छत्तीसगढ़ी अनुवादित पुस्तक, प्रज्ञायोग साधना प्रोटोकॉल, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय वृक्षारोपण की अभिनव पहल, शांतिकुज वीडियो मोबाइल एप आदि का विमोचन किया।

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