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एक संशय भरे समय का चिंतन है अतुल शर्मा का उपन्यास_" दृश्य अदृश्य "


रोचकता और गम्भीर कथ्य इसकी विषेशता है ।सरलता के बीच दिल को छूने वाले शब्द हैं जो अपने दूरगामी अर्थो के साथ उपन्यास मे मौजूद हैं ।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

उपन्यास " दृश्य अदृश्य " लेखक अतुल शर्मा) पर एक सार्थक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया । इसमे उन पाठको ने अपने विचार प्रस्तुत किये जिन्होने यह उपन्यास पढा है । पाठक की बात लेखक अतुल शर्मा ध्यान से सुनी । इस पाठको मे श्री एस सी भट्ट ने उपन्यास_"दृश्य अदृश्य " को एक गम्भीर स्थितियो का जीवंत दस्तावेज बताया । उन्होंने कहा कि पढते हुए लग रहा था कि ये सब तो हमने साक्षात भोगा है । जिसे उपन्यासकार अतुल शर्मा ने सिलसिलेवार लिखा है । यह गम्भीर चिन्तन और चिन्ताओ को भी व्यक्त कर रहा है । विभिन्न दृश्यो के माध्यम से । आज से साक्षात्कार है यह ।यथार्थ और मार्मिक ।जैसे गाव के लिये मजदूरो का शहरो से पैदल पलायन लौकडाउन मे भी कुछ लोगो का निरंतर कार्य करना । अस्पतालों मे अपने परिवार जनो की लाशो से न मिल पाने का दर्द ।अदृश्य कोरोना महामारी मे घरो मे बन्द दुनिया की कथाये । समय एक पात्र और कैमरा दर्ज करता हुआ _ सब कुछ । संशय के कंटीले वातावरण मे जीने के प्रति सकारात्मक सोच ।पिछली महामारियो का जिक्र आदि । इस उपन्यास को पढने पर लगा कि यह मेरे पास हमेशा रहना जरूरी है क्योकि आने वाले समय मे यह तमाम बाते जीवंत रहेगी । रोचकता और गम्भीर कथ्य इसकी विषेशता है ।सरलता के बीच दिल को छूने वाले शब्द हैं जो अपने दूरगामी अर्थो के साथ उपन्यास मे मौजूद हैं । कोरोना की दो लहरो पर लिखा गया उपन्यास_"दृश्य अदृश्य " मे उपन्यासकार अतुल शर्मा ने भोगा हुआ यथार्थ लिखा है । यह सार्थक और पठनीय है ।

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