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धर्म संसद में कथित भड़काऊ भाषण में मिली जमानत के कानूनी पहलू!


यति निरसिंहानंद की ओर से उत्तराखंड उच्च न्यायालय के अधिवक्ता नारायण हर गुप्ता पेश हुए और बहस की। मुख्य तर्क यह था कि कथित भाषण के सीधा प्रसारण में यति निरसिंहानंद की कोई भूमिका नहीं है। एडवोकेट गुप्ता ने यह भी तर्क दिया कि इस मामले में भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65बी का सही अनुपालन नहीं किया गया है, एक और कानूनी तर्क यह था कि धारा 153ए या 295ए आईपीसी के आवश्यक अवयवों में से कोई भी प्रथम दृष्टया पूरा नहीं हो रहा है|

रिपोर्ट  - à¤…जय शर्मा

यति निरसिंहानंद की ओर से उत्तराखंड उच्च न्यायालय के अधिवक्ता नारायण हर गुप्ता पेश हुए और बहस की। मुख्य तर्क यह था कि कथित भाषण के सीधा प्रसारण में यति निरसिंहानंद की कोई भूमिका नहीं है। एडवोकेट गुप्ता ने यह भी तर्क दिया कि इस मामले में भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65बी का सही अनुपालन नहीं किया गया है, एक और कानूनी तर्क यह था कि धारा 153ए या 295ए आईपीसी के आवश्यक अवयवों में से कोई भी प्रथम दृष्टया पूरा नहीं हो रहा है जैसा कि अमीश देवगन बनाम भारत संघ के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित किआ गया है। इसके अलावा, पुलिस ने जोगिंदर कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित दिशा निर्देशों की अवहेलना में यति निरसिंहानंद को गिरफ्तार किया है। इसलिए निर्सिंहानंद की गिरफ्तारी कानून का घोर उल्लंघन था और अवैध थी। बहस के दौरान अधिवक्ता नारायण गुप्ता द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आधिकारिक आदर्श वाक्य “यतो धर्मस्ततो जयः” का भी संदर्भ दिया गया। उत्तराखंड पुलिस ने यति निरसिंहानंद के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया है।

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