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हरिद्वार नगरी में माघ पूर्णिमा पर मां गंगा पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी।


तीर्थ नगरी हरिद्वार में हर की पौड़ी पर हजारों श्रद्धालुओं ने भाग बुध पूर्णिमा पर स्नान किया। प्रशासन द्वारा स्नान अवसर पर श्रद्धालुओं की आवाजाही पर किसी प्रकार की कोई बंदिश नहीं की है। लेकिन स्नान पर्व पर आने वाले श्रद्धालुओं को कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए मास्क की अनिवार्यता की गई है।

रिपोर्ट  - à¤µà¤¿à¤•à¤¾à¤¸ शर्मा

हरिद्वार 16 फरवरी (विकास शर्मा) तीर्थ नगरी हरिद्वार में हर की पौड़ी पर हजारों श्रद्धालुओं ने भाग बुध पूर्णिमा पर स्नान किया। प्रशासन द्वारा स्नान अवसर पर श्रद्धालुओं की आवाजाही पर किसी प्रकार की कोई बंदिश नहीं की है। लेकिन स्नान पर्व पर आने वाले श्रद्धालुओं को कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए मास्क की अनिवार्यता की गई है। सनातन धर्म में पूर्णिमा का अलग महत्व है। इस दिन चांद अपनी पूर्ण अवस्था में होता है। यह मान्यता है कि लोगों की हर कामनाएं पूर्ण होती हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार पूर्णिमा के दिन देवी-देवता धरती पर आते हैं। ऐसे में इस दिन पूजा-पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। हर माह की पूर्णिमा का अपना अलग-अलग महत्व होता है। ऐसे में इस माह माघ में पड़ने वाली पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा या माघ पूर्णिमा कहा जाता है। ज्योतिषियों के मुताबिक इस बार माघ पूर्णिमा पर खास संयोग बन रहे हैं। माघ पूर्णिमा को कर्क राशि में चंद्रमा और आश्लेषा नक्षत्र की युति होने से शोभन योग बन रहा है। यह योग काफी शुभ माना गया है। माघ पूर्णिमा के अवसर पर स्नान पर कोई रोकटोक नहीं हो सकेगी। यात्रियों को मास्क व कोरोना गाइडलाइन का पालन करना होगा। स्नान पर्व के साथ ही 16 फरवरी बुधवार को माघ पूर्णिमा के साथ ही पवित्र माघ मास का समापन हो जाएगा। माघ माह में जिन लोगों ने पूरे माह स्नान, दान, तप, मंत्र जप इत्यादि कर्म किए हैं, उनके लिए माघ पूर्णिमा विशेष दिन होता है। इस दिन वे अपने एक महीने के तप की पूर्णाहुति करते हैं। इसके अलावा जिन लोगों ने पूरे माह माघ स्नान नहीं किया है वे भी पूर्णिमा के एक दिन पवित्र नदियों के जल से स्नान करके अपने शुभ पुण्य कर्मों में वृद्धि कर सकते हैं।

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