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स्वामी रामकृष्ण परमहंस मानवता के पुजारी - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


19वीं सदी के प्रसिद्ध संत स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी की जयंती के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने भावपूर्ण श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये विदेश से भेजे अपने संदेश में कहा कि स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी ने पूरी दुनिया को स्वामी विवेकानन्द जी जैसे महान विचारक और अद्भुत व्यक्तित्व को दिया|

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 18 फरवरी। 19वीं सदी के प्रसिद्ध संत स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी की जयंती के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने भावपूर्ण श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये विदेश से भेजे अपने संदेश में कहा कि स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी ने पूरी दुनिया को स्वामी विवेकानन्द जी जैसे महान विचारक और अद्भुत व्यक्तित्व को दिया जिन्होंने भारतीय संस्कृति को वैश्विक पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी तथा विश्व को वेदांत और योग के भारतीय दर्शन से परिचित कराया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि पूज्य संत स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी भारत के एक महान संत, आध्यात्मिक गुरु एवं विचारक थे। उन्होंने सभी धर्मों की एकता, मातृभूमि के उत्थान के साथ चरित्र-निर्माण पर अत्यधिक जोर दिया। बाल्यकाल से ही परमहंस जी ने ईश्वर के दर्शन हेतु कठोर साधना की। उन्होंने अपना पूरा जीवन कठोर साधना और प्रभु भक्ति में लीन होकर बिताया, वे वास्तव में मानवता के पुजारी थे। स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी से स्वामी विवेकानंद जी की मुलाकात वर्ष 1881 में हुई थी, तब से ही वे अपने गुरू के पवित्र और निस्वार्थ भाव से अत्यंत प्रभावित थे। दोनों के मध्य एक आध्यात्मिक गुरु-शिष्य के अलावा भी एक अटूट संबंध था। अपने गुरु के प्रति समर्पण व्यक्त करते हुये स्वामी विवेकानंद जी ने रामकृष्ण मिशन तथा रामकृष्ण मठ की भी स्थापना की। स्वामी विवेकानन्द जी ने अपने गुरू की शिक्षाओं को आत्मसात कर वैश्विक स्तर पर भारतीय दर्शन, वेदांत और योग को प्रसारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। साथ ही उन्होंने पाश्चात्य समाज को यह अनुभव करवाया कि स्वयं के उद्धार हेतु भारतीय आध्यात्मिकता अत्यंत आवश्यक है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत की संस्कृति हमारे पूर्वजों व ऋषियों के पुरूषार्थ और तपस्या की देन तथा सदियों की खोज का ही परिणाम है ऋषि कणाद, पिप्पलाद, माध्वाचार्य रामानुजाचार्य, निम्बार्काचार्य और स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी आदि से लेकर एक लम्बी परम्परा रही है। भारतीय संस्कृति में सनातन और शाश्वत मूल्य समाहित है, वह हमें प्रेम, उदारता, सहिष्णुता और शान्ति का संदेश देती है। इसमें सर्वे भवन्तु सुखिनः, वसुधैव कुटुम्बकम् के दिव्य सूत्र समाहित हैं। हमारी संस्कृति और संस्कार ही हमारी वास्तविक धरोहर हैं इसे जीवंत और जाग्रत बनाये रखें, यही हमारी ओर से स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी को सच्ची श्रद्धाजंलि होगी। रामकृष्ण मिशन एक ऐसा संगठन है जो संस्कार व मूल्य आधारित शिक्षा, संस्कृति, स्वास्थ्य, महिला सशक्तीकरण, युवा एवं आदिवासी कल्याण और राहत तथा पुनर्वास के क्षेत्र में दिव्य कार्य कर रहा है।

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