घी-मिशà¥à¤°à¥€ के साथ बकरी के दूध का सेवन करने से, सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤®à¤¾à¤²à¤¤à¥€ तथा चà¥à¤¯à¤µà¤¨à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¶ के सेवन करने से कà¥à¤·à¤¯ रोग में लाठहोता है।
रिपोर्ट - वैध दीपक कà¥à¤®à¤¾à¤°
पहला पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—ः घी-मिशà¥à¤°à¥€ के साथ बकरी के दूध का सेवन करने से, सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤®à¤¾à¤²à¤¤à¥€ तथा चà¥à¤¯à¤µà¤¨à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¶ के सेवन करने से कà¥à¤·à¤¯ रोग में लाठहोता है। दूसरा पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—ः अडूसे के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के 10 से 50 मि.ली. रस में 9 से 10 गà¥à¤°à¤¾à¤® शहद मिलाकर दिन में दो बार नियमित पीने से कà¥à¤·à¤¯ में लाठहोता है। तीसरा पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—ः 1 किलो बकरी की मिंगनी (लेंडी) 3 किलो पानी में तीन दिन तक मिटà¥à¤Ÿà¥€ के बरà¥à¤¤à¤¨ में रखें। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ उसे पानी में मसलकर लकड़ी या कोयले की आग पर ठीक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से उबालें। पानी कम लगे तो उबालने से पूरà¥à¤µ उसमें आधा किलो पानी और डाल दें। फिर उसे छानकर किसी बरà¥à¤¤à¤¨ में à¤à¤° लें उसमें से आधा-आधा कप पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ à¤à¤µà¤‚ सायं पियें। इससे कà¥à¤·à¤¯ रोग में लाठहोता है। फेफड़ों का कà¥à¤·à¤¯à¤ƒ लहसà¥à¤¨ के ताजे रस में रूई डà¥à¤¬à¥‹à¤•à¤° नाक पर बाà¤à¤§ दें ताकि अंदर जानेवाली शà¥à¤µà¤¾à¤¸ के साथ मिलकर वह रस फेफड़ों तक पहà¥à¤à¤šà¥‡à¥¤ लहसà¥à¤¨ का रस सूख जाने पर बार-बार रस छींटकर रूई को गीला रखना चाहिà¤à¥¤ à¤à¤¸à¤¾ करने से फेफड़ों का कà¥à¤·à¤¯ मिटता है। पथà¥à¤¯ : कà¥à¤·à¤¯ रोग में बकरी का दूध, चावल,मूà¤à¤— की खिचड़ी परमल आदि का सेवन करें Vaid Deepak Kumar Adarsh Ayurvedic Pharmacy Kankhal Hardwar aapdeepak.hdr@gmail.com 9897902760