परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने कहा कि अतंरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ दिवस हमें अपनी मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से जà¥à¥œà¤¨à¥‡ का संदेश देता है। अपनी मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ देने, à¤à¤¾à¤·à¤¾ और बहà¥à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤µà¤¾à¤¦ से समावेशी विकास, à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤¯à¥€ अंतर से ऊपर उठकर राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ à¤à¤•à¤¤à¤¾ - अखंडता à¤à¤µà¤‚ à¤à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤ - शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करने हेतॠपà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ करता है।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश, 21 फरवरी। परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने कहा कि अतंरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ दिवस हमें अपनी मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से जà¥à¥œà¤¨à¥‡ का संदेश देता है। अपनी मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ देने, à¤à¤¾à¤·à¤¾ और बहà¥à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤µà¤¾à¤¦ से समावेशी विकास, à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤¯à¥€ अंतर से ऊपर उठकर राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ à¤à¤•à¤¤à¤¾ - अखंडता à¤à¤µà¤‚ à¤à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤ - शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करने हेतॠपà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ करता है। आज का दिन हमें विशà¥à¤µ में à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤ˆ à¤à¤µà¤‚ सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• विविधता और बहà¥à¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤à¤¾ को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ देने का संदेश देता है। विशà¥à¤µ में 7,000 से अधिक à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤à¤ हैं, जिसमें से सिरà¥à¤« à¤à¤¾à¤°à¤¤ में ही लगà¤à¤— 22 आधिकारिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤à¤, 1635 मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾à¤à¤ और 234 पहचान योगà¥à¤¯ मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾à¤à¤ हैं। जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जीवंत और जागृत बनाये रखना अतà¥à¤¯à¤‚त आवशà¥à¤¯à¤• है। सरà¥à¤µà¥‡ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में बोली जाने वाली अनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ 6000 à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में से लगà¤à¤— 43 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤à¤ लà¥à¤ªà¥à¤¤à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¯ हैं और लगà¤à¤— कà¥à¤› सौ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं को ही शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में जगह दी गई है। अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ दिवस के अवसर पर परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने अपने संदेश में कहा कि ‘‘माà¤, मातृà¤à¥‚मि और मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ ये तीनों ही संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ की जननी है।’’ मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ हमें अपने मूल और मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से जोड़ती है। माठसे जनà¥à¤®, मातृà¤à¥‚मि से हमारी राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ और मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ से हमारी पहचान होेती है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने सà¤à¥€ देशवासियों का आहà¥à¤µà¤¾à¤¨ करते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के संरकà¥à¤·à¤£ के लिये जरूरी है कि अपनी मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ में वारà¥à¤¤à¤¾à¤²à¤¾à¤ª किया जाये। à¤à¤¾à¤°à¤¤ की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ विविधता में à¤à¤•à¤¤à¤¾, बहà¥à¤à¤¾à¤·à¤¾, à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤¯à¥€ सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• विविधता à¤à¤µà¤‚ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤¯à¥€ विविधता व बाहà¥à¤²à¥à¤¯à¤¤à¤¾ की है परनà¥à¤¤à¥ यही à¤à¤¾à¤°à¤¤ की अनमोल संपदा à¤à¥€ है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कहा कि लà¥à¤ªà¥à¤¤ होती à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ अतà¥à¤¯à¤‚त गंà¤à¥€à¤° विषय हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं का लà¥à¤ªà¥à¤¤ होना अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का विलà¥à¤ªà¥à¤¤ होना इसलिये कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯, राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ और अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° पर सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं का संरकà¥à¤·à¤£, समरà¥à¤¥à¤¨ और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बà¥à¤¾à¤µà¤¾ देना नितांत आवशà¥à¤¯à¤• हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कहा कि अपनी à¤à¤¾à¤·à¤¾, लिपि और अपनी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को जीवंत बनाठरखना हम सà¤à¥€ का परम करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ हैं। हमें à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ वातावरण का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करना होगा जहां अपनी मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर किसी दूसरी à¤à¤¾à¤·à¤¾ को सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ न करना पड़े। आगे बà¥à¤¨à¥‡ के लिये à¤à¤¾à¤·à¤¾ कोई बाधा नहीं है, अपनी मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ में à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करते हà¥à¤¯à¥‡ नया सृजन किया जा सकता है।