Latest News

गंगा की पवित्रता के लिए संघर्षरत पत्रकार द्वारा जागरूक करने पर संत को जल समाधि देन का निर्णय बदला।


गंगा की पवित्रता व अस्तित्व के लिए संघर्षरत गंगापुत्र पत्रकार रामेश्वर गॉड द्वारा गंगा में जल समाधि से प्रदूषित गंगा जल के बारे में जानकारी देने से जल समाधि देने के स्थान पर लोगों द्वारा संत के पार्थिव शरीर का दाह संस्कार का निर्णय लिया गया।

रिपोर्ट  - à¤µà¤¿à¤•à¤¾à¤¸ शर्मा

हरिद्वार 23 फरवरी (विकास शर्मा) गंगा की पवित्रता व अस्तित्व के लिए संघर्षरत गंगापुत्र पत्रकार रामेश्वर गौड़ द्वारा गंगा में जल समाधि से प्रदूषित गंगा जल के बारे में जानकारी देने से जल समाधि देने के स्थान पर लोगों द्वारा संत के पार्थिव शरीर का दाह संस्कार का निर्णय लिया गया। हरिद्वार भूपतवाला में कुछ लोग एक संत का पार्थिव शरीर लेकर गंगा में जलसमाधि देने के लिए पहुंचे हैं। वो तुरंत गंगा घाट पर पहुंचते हैं और पार्थिव शरीर लाने वाले लोगों को समझाते हैं कि जलसमाधि से पावन गंगा का जल प्रदूषित होगा। जीवनदायिनी गंगा का जल प्रदूषित होने का मतलब है, इंसानों के जीवन से खिलवाड़ है। हरिद्वार शहर का नाम जेहन में आते है, हमारा ध्यान अविरल गंगा की ओर जाता है। देश विदेश के करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र गंगा नदी के संरक्षण की पहल न केवल सरकारी स्तर पर बल्कि हर व्यक्ति के स्तर पर होनी चाहिए। वो 2005-06 से गंगा नदी के संरक्षण के लिए छोटी छोटी पहल कर रहे हैं।वरिष्ठ पत्रकार गौड़ जिला स्तरीय गंगा संरक्षण समिति के सदस्य भी हैं। वो बताते हैं, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश अनुसार गंगा में प्रदूषण फैलाने पर 50 हजार से एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। आदेश का बार-बार उल्लंघन करने की दशा में संबंधित व्यक्ति को पांच वर्ष की सजा के साथ जुर्माने का प्रावधान है।

Related Post