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खार्किव में फंसे भारतीय छात्रों को नहीं मिल रहे खाने-पीने के सामान


यूक्रेन के खार्किव शहर में लगातार हो रही बमबारी से अब वहां एमबीबीएस करने गए लगभग 25 सौ भारतीय छात्रों के सामने खाने-पीने का संकट उत्पन्न हो गया है। इसमें लगभग डेढ़ सौ छात्र उत्तर प्रदेश के हैं। छात्र बंकर में दिन काट रहे हैं। सोमवार को एक घंटे के लिए बाजार खुला।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

यूक्रेन के खार्किव शहर में लगातार हो रही बमबारी से अब वहां एमबीबीएस करने गए लगभग 25 सौ भारतीय छात्रों के सामने खाने-पीने का संकट उत्पन्न हो गया है। इसमें लगभग डेढ़ सौ छात्र उत्तर प्रदेश के हैं। छात्र बंकर में दिन काट रहे हैं। सोमवार को एक घंटे के लिए बाजार खुला। छात्र दुकानों की तरफ भागे लेकिन वहां लंबी लाइन लगी थी। दुकानदारों ने यूक्रेनवासियों को प्राथमिकता दी। उन्हें ही सामान दिए। भारतीय छात्र लाइन में खड़े होने के बाद भी निराश होकर खाली हाथ अपने बंकर में लौटे। उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि इस स्थिति में क्या किया जाए। लगातार बमबारी होने से वहां से निकलने की वे हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। रामजानकी नगर निवासी अजीत सिंह के पुत्र आकाश सिंह यूक्रेन के खार्विव नेशनल मेडिकल इंस्टीट्यूट में एमबीबीएस चतुर्थ वर्ष के छात्र हैं। उन्होंने बताया कि राजधानी कीव में कर्फ्यू हटा लिया गया है। ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया गया है। दूतावास ने कहा कि भारतीय छात्र कीव पहुंचकर ट्रेन से पोलैंड की तरफ निकलें। लेकिन खार्किव में लगातार हो रही बमबारी से छात्र वहां से निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। छात्रों का कहना है कि यदि रसिया सीमा खोल दी जाए तो वहां से एक घंटे का रास्ता है।यूक्रेन पर रूस के हमले की वजह से वहां एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे छात्र भागकर यूक्रेन-पोलैंड सीमा पर पहुंचे थे। लेकिन वहां से खदेड़ दिया गया। पुलिस की ज्यादती की वजह से छात्र-छात्राएं आसपास के शहरों में लौट आए। उन्होंने भारतीय दूतावास से मदद की गुहार लगाई है। दूतावास ने मदद का आश्वासन दिया है। गोरखपुर की ग्रीन सिटी निवासी प्रियांशी गुप्ता लवीव शहर में आ गईं। वह रविवार की रात को गर्ल्स हास्टल में रहीं। सोमवार को दोपहर बाद उनके सहित भारत के आठ छात्र निजी बस रिजर्व कर हंग्री के लिए रवाना हो गए हैं। मंगलवार तक उन लोगों के हंग्री एयरपोर्ट पहुंचने की उम्मीद है। प्रियांशी ने बताया कि खाने-पीने के सामान बहुत मुश्किल से मिल रहे हैं।

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