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एम्स ऋषिकेश मरीजों को वर्ल्ड क्लास स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने को लेकर सतत प्रयासरत है


नए साल में हृदय रोग विभाग में रोगियों के लिए काॅर्डिया इन्टेनसिव केयर यूनिट स्थापित की जा रही है। यह यूनिट इसी वर्ष जनवरी के अंतिम सप्ताह से कार्य करना शुरु कर देगी।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश मरीजों को वर्ल्ड क्लास स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने को लेकर सतत प्रयासरत है। इसी कड़ी में नए साल में हृदय रोग विभाग में रोगियों के लिए काॅर्डिया इन्टेनसिव केयर यूनिट स्थापित की जा रही है। यह यूनिट इसी वर्ष जनवरी के अंतिम सप्ताह से कार्य करना शुरु कर देगी, जिससे संस्थान में एक ही स्थान पर सभी प्रकार के हृदय रोगों का उच्चस्तरीय तकनीक से इलाज हो सकेगा। साथ ही एम्स के काॅर्डियालाॅजी विभाग में नई तकनीक विकसित होने से अब हृदय गति से संबंधित विभिन्न उपचार में आसानी हो गई है। बहरहाल यह सुविधा उत्तराखंड में केवल एम्स में ही उपलब्ध है। उच्च स्तरीय मेडिकल तकनीक और विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम के सहयोग से एम्स ऋषिकेश नित नए सोपान स्थापित कर रहा है। संस्थान में न केवल अनुसंधान और आविष्कार के आधार पर मेडिकल चिकित्सा की नई उपलब्धियों को पहचान मिल रही है बल्कि कई मामलों में यह मरीजों के लिए संजीवनी भी साबित हो रहा है। उपलब्धियों के इस क्रम में एम्स संस्थान के खाते में इसी माह एक और नया अध्याय जुड़ जाएगा। जिसके तहत चालू माह के अंतिम सप्ताह में यहां हार्ट अटैक व हार्ट फेलियर से ग्रसित हृदय रोगियों को उपचार की विश्वस्तरीय मेडिकल सुविधा मिलने लगेगी। इसके लिए एम्स के कॉर्डियोलॉजी विभाग में कॉर्डियक इन्टेनसिव केयर यूनिट स्थापित की गई है। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोपुुसर रवि कांत ने इस बाबत बताया कि उक्त कॉर्डियक इन्टेनसिव केयर यूनिट में एक विशेष आईसीयू स्थापित किया गया है, जिसमें हार्ट अटैक व हार्ट फेलियर मरीजों का विश्वस्तरीय उच्च तकनीक पर आधारित मेडिकल पद्धति से उपचार किया जाएगा। इस सुविधा के शुरू होने से हार्ट अटैक के मरीजों के जटिल से जटिल मरीजों का भी त्वरित गति से समुचित इलाज एम्स संस्थान में ही संभव हो सकेगा। उन्होंने बताया कि यूनिट में विशेष तकनीक से एक ही सेंट्रल टेबिल पर मरीज के हृदय संबंधी रोगों की मॉनिटरिंग की जाएगी । एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि पिछले माह दिसंबर प्रथम सप्ताह में काॅर्डियोलॉजी विभाग में कैथ लैब शुरू कर दी गई थी, जिसके प्रारंभ होने से संस्थान में एनजीओप्लास्टी केस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ने लगी है। जिनका विभाग के विशेषज्ञ ​चिकित्सकों द्वारा सफलतापूर्वक उपचार किया जा रहा है। एम्स डीन प्रो. मनोज गुप्ता के अनुसार एम्स के कॉर्डियोलॉजी विभाग में उत्तरभारत में यह अपनी तरह की पहली अजूरियन कैथ लैब है। यह न केवल हृदय रोगियों के लिए एक वरदान की तरह है, बल्कि इसे कॉर्डियोलॉजी के विद्यार्थियों के शैक्षणिक पाठ्यक्रम में भी साक्ष्य आधारित अभ्यास में शामिल किया गया है। इससे रोगियों का समग्र उपचार संभव हो पा रहा है। संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. ब्रह्मप्रकाश ने बताया कि कॉर्डियोलॉजी विभाग सबसे उन्नत ईको कॉर्डियोग्राफी मशीनों से लैस है, जो थ्रीडी छवियों को दर्शाने में सक्षम है। हृदय रोग विभागाध्यक्ष डा. भानु दुग्गल ने बताया कि सर्जरी किए बिना हृदय के एटोरिट वाॅल्ब का रिस्लेसमेंट किया जाना कैथ लैब के स्थापित होने से ही संभव हो पाया है। उन्होंने बताया कि अभी तक हृदय रोग से ग्रसित दो मरीजों का सफलतापूर्वक ट्रांस एरोटिक​ वाॅल्ब रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि एम्स में शिशुओं के हृदय में जन्मजात छेद बिना सर्जरी के बंद किए जाने की तकनीक अत्यंत कारगर सिद्ध हो रही है,यह प्रक्रिया एम्स संस्थान में नियमिततौर से संचालित हो रही है। विभाग के सहायक प्रोफेसर डा. देवेंदू खानरा कॉर्डियक इन्टेनसिव यूनिट स्थापित होने से अत्यंत उत्साहित हैं, उन्होंने बताया कि संस्थान में अब तक प्रतिमाह हार्ट फेलियर व हार्ट अटैक से ग्रसित करीब 50 मरीज आते थे, जबकि अब यूनिट के स्थापित होने के बाद अधिकाधिक मरीजों का इलाज संभव हो गया है।

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