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सकुशल वापसी, तिरंगा बना ढाल; मां बोलीं-मोदी हैं तो मुमकिन है


दहशत के बीच दिन कट रहे थे, तभी वतन वापसी के लिए निकल पड़े। रास्ते में डर लगा, लेकिन तिरंगा झंडा ढाल बन गया। रूसी सैनिकों ने झंडा देख सम्मान के साथ उन्हें और साथियों को सीमा तक जाने दिया। यह कहना है, बुधवार को यूक्रेन से लौटे बांदा के 22 वर्षीय आलोक चंद्र का।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

दहशत के बीच दिन कट रहे थे, तभी वतन वापसी के लिए निकल पड़े। रास्ते में डर लगा, लेकिन तिरंगा झंडा ढाल बन गया। रूसी सैनिकों ने झंडा देख सम्मान के साथ उन्हें और साथियों को सीमा तक जाने दिया। यह कहना है, बुधवार को यूक्रेन से लौटे बांदा के 22 वर्षीय आलोक चंद्र का। उनकी मां माया देवी बेटे को देख खुशी से बोल पड़ीं-मोदी हैं तो मुमकिन है। बांदा के ग्राम रामप्रसाद कोटेदार का डेरा निवासी जयरूप निषाद पूर्व माध्यमिक विद्यालय समगरा में सहायक अध्यापक हैं। उनका बेटा आलोक यूक्रेन के शहर इवानो में वर्ष 2019 में एमबीबीएस की पढ़ाई करने गया था।आलोक के मुताबिक, 26 फरवरी की सुबह निजी बस से रोमानिया सीमा पर पहुंचे। इस दौरान भारतीय दूतावास के अधिकारी लगातार संपर्क में रहे। सरकार ने अपने खर्च पर घर तक पहुंचाया है। औरैया के नवीन बस्ती निवासी मुकेश यादव की पुत्री मेडिकल छात्र अदिति यादव बुधवार को घर लौट आईं। उन्होंने बताया, यूक्रेनी सैनिक गोलीबारी के बीच भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन सीमा पर चार लोग निकल पाते तो 40 परेशान होते। चिंता सता रही थी कि कुछ गड़बड़ न हो जाए, लेकिन ईश्वर और सरकार ने साथ दिया। बसों में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लगा होने से रूसी सैनिकों ने उन्हें कहीं नहीं रोका। जिले के चार छात्र अभी फंसे हुए हैं। कन्नौज के रामगंज निवासी छात्र आयुष पाल ने बताया कि पोलैंड में केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने 500 छात्रों से मुलाकात की। उन्होंने सबकी मदद की बात कही। उन्होंने सभी छात्र-छात्रओं के हालचाल लिए हैं।

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