मधà¥à¤®à¥‡à¤¹ के मरीज को पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ अधिक लगती है। अतः बार-बार पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ लगने की अवसà¥à¤¥à¤¾ में नींबू निचोड़कर पीने से पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ की अधिकता शांत होती है।
रिपोर्ट - वैध दीपक कà¥à¤®à¤¾à¤°
1 नींबू : मधà¥à¤®à¥‡à¤¹ के मरीज को पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ अधिक लगती है। अतः बार-बार पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ लगने की अवसà¥à¤¥à¤¾ में नींबू निचोड़कर पीने से पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ की अधिकता शांत होती है। 2 खीरा : मधà¥à¤®à¥‡à¤¹ के मरीजों को à¤à¥‚ख से थोड़ा कम तथा हलà¥à¤•à¤¾ à¤à¥‹à¤œà¤¨ लेने की सलाह दी जाती है। à¤à¤¸à¥‡ में बार-बार à¤à¥‚ख महसूस होती है। इस सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में खीरा खाकर à¤à¥‚ख मिटाना चाहिà¤à¥¤ 3 गाजर-पालक : इन रोगियों को गाजर-पालक का रस मिलाकर पीना चाहिà¤à¥¤ इससे आंखों की कमजोरी दूर होती है। 4 शलजम : मधà¥à¤®à¥‡à¤¹ के रोगी को तरोई, लौकी, परवल, पालक, पपीता आदि का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ करना चाहिà¤à¥¤ शलजम के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— से à¤à¥€ रकà¥à¤¤ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ शरà¥à¤•à¤°à¤¾ की मातà¥à¤°à¤¾ कम होने लगती है। अतः शलजम की सबà¥à¤œà¥€, पराठे, सलाद आदि चीजें सà¥à¤µà¤¾à¤¦ बदल-बदलकर ले सकते हैं। 5 जामà¥à¤¨ : मधà¥à¤®à¥‡à¤¹ के उपचार में जामà¥à¤¨ à¤à¤• पारंपरिक औषधि है। जामà¥à¤¨ को मधà¥à¤®à¥‡à¤¹ के रोगी का ही फल कहा जाठतो अतिशà¥à¤¯à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¿ नहीं होगी, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इसकी गà¥à¤ ली, छाल, रस और गूदा सà¤à¥€ मधà¥à¤®à¥‡à¤¹ में बेहद फायदेमंद हैं। मौसम के अनà¥à¤°à¥‚प जामà¥à¤¨ का सेवन औषधि के रूप में खूब करना चाहिà¤à¥¤ 6 करेले : पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल से करेले को मधà¥à¤®à¥‡à¤¹ की औषधि के रूप में इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया जाता रहा है। इसका कड़वा रस शà¥à¤—र की मातà¥à¤°à¤¾ कम करता है। मधà¥à¤®à¥‡à¤¹ के रोगी को इसका रस रोज पीना चाहिà¤à¥¤ Vaid Deepak Kumar Adarsh Ayurvedic Pharmacy Kankhal Hardwar aapdeepak.hdr@gmail.com 9897902760