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जल संरक्षण के लिए प्रकृति के प्रत्येक उपहार का संरक्षण करना अनिवार्य: प्रो. जोशी


एस.एम.जे.एन.पी.जी. काॅलेज में आज अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, माँ मंशा देवी मन्दिर ट्रस्ट व काॅलेज प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष महन्त रविन्द्र पुरी जी महाराज की अध्यक्षता में उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं शोध केन्द्र, देहरादून एस.एम.जे.एन. काॅलेज के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारम्भ किया गया जिसमें उत्तराखण्ड राज्य के विशेष सन्दर्भ में जल संरक्षण हेतु किये जा रहे प्रयासों व तकनीकों से जागरुक किया गया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार 23 मार्च, 2022 । एस.एम.जे.एन.पी.जी. काॅलेज में आज अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, माँ मंशा देवी मन्दिर ट्रस्ट व काॅलेज प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष महन्त रविन्द्र पुरी जी महाराज की अध्यक्षता में उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं शोध केन्द्र, देहरादून एस.एम.जे.एन. काॅलेज के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारम्भ किया गया जिसमें उत्तराखण्ड राज्य के विशेष सन्दर्भ में जल संरक्षण हेतु किये जा रहे प्रयासों व तकनीकों से जागरुक किया गया। कार्यक्रम का प्रारम्भ सरस्वती वन्दना व द्वीप प्रज्जवलित कर किया गया। सर्वप्रथम काॅलेज में निर्मित शौर्य दीवार पर शहीदों को नमन करते हुए पुष्प अर्पित कर राष्ट्रगान गाया गया तथा देश के अमर शहीदों को पुष्पाजंली अर्पित की। काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा, कार्यक्रम संयोजक डाॅ. संजय माहेश्वरी व डाॅ. श्रीमती सरस्वती पाठक आदि द्वारा सभी अतिथियों का माल्यार्पण कर सभी को जल संरक्षण की शपथ भी दिलायी। श्री महन्त रविन्द्र पुरी जी महाराज द्वारा सभी अतिथियों को हरित पौधा तथा गौरेया गृह भेंट किया गया। राष्ट्रीय कार्यशाला आज मैती आन्दोलन के प्रेणता कल्याण सिंह रावत ने अपने सम्बोधन में कहा कि जल की समस्या सिर्फ भारत के लिए ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में फैली हुई है। जल के तीन रूप-तरल, वाष्प व ठोस जो प्रकृतिवश अपनी उपयोगिता को समय≤ पर दर्शाता है। एक नदी का महत्व सिर्फ उसके कारण नहीं है बल्कि छोटे-छोटे स्त्रोतों के सहयोग से उसका अस्तित्व बना रहता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के विभिन्न धार्मिक पर्यटक स्थल हिमालय की उच्चतम श्रेणियोे में विराजमान हैं। प्राचीन काल में धार्मिक यात्रा के दौरान धार्मिक तीर्थाटन करने वाले व्यक्ति यहाँ पर प्रकृति के जल, जमीन एवं आॅक्सीजन से अपने रोगों को दूर करते थे, क्याोंकि वहाँ बिल्कुल भी प्रदूषण नहीं था। उन्होंने कहा कि जल व जंगल को तभी बचा सकेंगे जब हम स्वयं जमीन से जुड़े रहेंगे। उन्होंने कहा कि हमें पर्यावरण संरक्षण कर पृथ्वी की प्यास बुझानी होगी। भारत की 42 प्रतिशत आबादी गंगा पर निर्भर है, लेकिन हमने गंगा को भी जहर बना दियाहै। उन्होंने कहा कि ये नदियाँ भी जब तक हैं जब तक हिमालय राज जिन्दा हैं। उन्होंने उपस्थित सभी से पर्यावरण संरक्षण करने का आह्वान किया। की-नोट स्पीकर प्रसिद्ध पर्यावरणविद प्रो. बी.डी. जोशी ने सम्बोधित करते हुए कहा कि जल संरक्षण के लिए हमें प्रकृति की प्रत्येक वस्तु का संरक्षण करना चाहिए। जीवन की दिनचर्या में जल का उचित प्रयोग करके जल संरक्षण का किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सामाजिक स्तर पर भी व्यक्ति को जल संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए, स्कूल, मन्दिर, बैंक, आश्रम, काॅलोनी आदि सभी जगहों पर हमें पूर्ण रूप से सहयोग देना चाहिए। उन्होंने उपस्थित सभी से आह्वान किया कि राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं में हिस्सा लेकर हम जल संरक्षण कर सकते हैं। प्रो. जोशी ने कहा कि आमतौर पर मनुष्य नालियों द्वारा सीधे जल को नदी में छोड़ देता है, जबकि आवश्यकता इस बात की है कि मनुष्य को प्रयोग किये हुए जल को जमीन द्वारा ग्रहण कराना चाहिए। डीएवी काॅलेज के डाॅ. पुष्पेन्द्र शर्मा ने जानकारी देते हुए कहा कि हमारी जीवन की पूरी दिनचर्या ही जल से प्रारम्भ होकर जल पर ही समाप्त होती है, किसी भी कार्य के लिए हमें उचित मात्रा में ही जल का प्रयोग करना चाहिए। जल की सुरक्षा हमारे घर से ही प्रारम्भ होती है। देव संस्कृति विश्वविद्यालय के अरूणेश पाराशर ने कहा कि जल संरक्षण का आह्वान करते हुए कहा कि पृथ्वी पर जल की मात्रा दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है। उन्होंने कहा कि जल अमूल्य संसाधान है जिसके बिना जीवमण्डल का अस्तित्व एवं पर्यावरण की अनेक क्रियायें सम्भव नहीं है। कहा कि जल का संचय विभिन्न माध्यमों से किया जा सकता है जिसमें वर्षा जल के संचय द्वारा, तालाबों की जलधारण क्षमता में वृद्धि, अनुकूलतम जल संसाधन उपयोग हेतु जागरुकता, जल स्त्रोतों के समीप ट्यूबवेल आदि के निर्माण पर रोक, जलोपचार आदि मुख्य हैं। प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने सभी अतिथियों का स्वागत व धन्यवाद प्रेषित करते हुए काॅलेज के कहा कि अगर जल का सही संचय नहीं किया गया तो यह सृष्टि के विनाश का कारण बन सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में अपर्याप्त जल की समस्या किसी एक क्षेत्र विशेष में नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में है और वह दिन दूर नहीं जब जल के लिए विश्वयुद्ध छिड़ जाये। उन्होंने कहा कि जल ही जीवन है क्योंकि बगैर जल के जीवन की कल्पना सम्भव नहीं है। जल मानव जीवन के लिए बहुउपयोगी है, जल की महत्त्ता के कारण मनुष्य इसे सहेजकर रखने हेतु बांधों, झीलों, तालाबों एवं इसी प्रकार के विविध प्रयास करता है। उन्होंने कहा कि बढ़ती जनंसख्या ने कई प्रकार की समस्याओं को जन्म दिया है जिसमें एक प्रमुख समस्या जल उपलब्ध्ता में कमी भी है। कार्यशाला को मदरहुड यूनिसर्विटी के अभिषेक स्वामी ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम का सफल संचालन कर रहे कार्यशाला संयोजक डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी ने सभी अतिथियों का धन्यवाद प्रेषित करते हुए कहा कि जल संरक्षण को बचाने हेतु सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है। कार्यशाला में काॅलेज के छात्र-छात्राओं अर्शिका, सबा, फैजा, हर्षिता, आयुष, विशाल, गौरव, आईना, मुस्कान, उपासना, ज्योति, अर्चना, माधुरी द्वारा जल संरक्षण से सम्बन्धित माॅडल की प्रदर्शनी भी लगायी गयी, जिसकी सभी अतिथियों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। इस अवसर पर डाॅ. पुष्पेन्द्र शर्मा, डाॅ. रश्मि रावत त्यागी द्वारा लिखित पुस्तक का प्रो. बी.डी. जोशी, डाॅ. कल्याण सिंह रावत व प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा द्वारा विमोचन भी किया गया। राष्ट्रीय कार्यशाला में मुख्य रूप से डाॅ. मन मोहन गुप्ता, डाॅ. सरस्वती पाठक, डाॅ. जगदीश चन्द्र आर्य, डाॅ. विनीता चैहान, डाॅ. दीपा अग्रवाल, डाॅ. मधु, डाॅ. ऋचा चैहान, डाॅ. धर्मेन्द्र कुमार, श्रीमती रिंकल गोयल, डाॅ. शिवकुमार चैहान, डाॅ. मनोज कुमार सोही, डाॅ. पदमावती तनेजा, डाॅ. पूर्णिमा सुन्दरियाल, प्रियंका प्रजापति, डाॅ. निविन्ध् ाया शर्मा, डाॅ. सरोज शर्मा, डाॅ. लता शर्मा, डाॅ. आशा शर्मा, डाॅ. मोना शर्मा, डाॅ. रेनू सिंह, दिव्यांश शर्मा, वैभव बत्रा, डाॅ. सुगन्धा वर्मा, कविता छाबड़ा, आस्था आनन्द, मोहनचन्द्र पाण्डेय, सोनू बोहरा ¬आदि साहित काॅलेज के अनेक शिक्षक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. प्रज्ञा जोशी द्वारा किया गया। अंत में आयोजक सचिव डाॅ. विजय शर्मा तथा डाॅ. प्रज्ञा जोशी द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया गया।

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