‘‘आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¥€à¤•à¤°à¤£ केवल हथियारों, पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤®à¤¾à¥‡à¤‚ और उपकरणों के बारे में नहीं है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अब हम तीनों चीजों को साथ लाने के लिठकमांडà¥à¤¸ के नाटकीयता की à¤à¥€ बात कर रहे हैं। चीन पहले ही नाटà¥à¤¯à¤•à¤°à¤£ की ओर बॠचà¥à¤•à¤¾ है और à¤à¤¾à¤°à¤¤ अà¤à¥€ à¤à¥€ नाटà¥à¤¯à¤•à¤°à¤£ के लिठबातचीत ही कर रहा है। अà¤à¥€ आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¥€à¤•à¤°à¤£ को रंगमंच की ओर ले जाना चाहिà¤à¥¤â€˜â€˜
रिपोर्ट - सà¥à¤¶à¥€à¤² उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
मशीन (पà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकी) चाहे कितनी à¤à¥€ समरà¥à¤¥ और à¤à¤¡à¤µà¤¾à¤‚स कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हो जाà¤, लेकिन à¤à¤¾à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— और वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° के मामले में वह मनà¥à¤·à¥à¤¯ का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ नहीं ले सकती। à¤à¤¾à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकी उसी सà¥à¤¤à¤° तक अपनी सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ का पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ कर सकती है, जितनी सूचनाओं के आधार पर उसे तैयार किया गया है। हाल के दिनों में दो रोचक उदाहरण देखने को मिले जो à¤à¤¾à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— की पà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकी-केंदà¥à¤°à¤¿à¤¤ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ को सामने रखते हैं। और साथ ही, ये à¤à¥€ बताते हैं कि à¤à¤¾à¤·à¤¾ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— कितनी लापरवाही से हà¥à¤† है। पहला उदाहरण, जरà¥à¤®à¤¨ हिंदी पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤£ डीडबà¥à¤²à¥à¤¯à¥‚ पर à¤à¤• जनवरी, 22 को ‘सैनà¥à¤¯ कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठà¤à¤¾à¤°à¤¤ कà¥à¤¯à¤¾ कर रहा है’ शीरà¥à¤·à¤• से à¤à¤• रिपोरà¥à¤Ÿ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हà¥à¤ˆ है। रिपोरà¥à¤Ÿ के लेखक à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° धारवी वैद हैं। इस रिपोरà¥à¤Ÿ में लिखा गया है, ‘‘आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¥€à¤•à¤°à¤£ केवल हथियारों, पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤®à¤¾à¥‡à¤‚ और उपकरणों के बारे में नहीं है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अब हम तीनों चीजों को साथ लाने के लिठकमांडà¥à¤¸ के नाटकीयता की à¤à¥€ बात कर रहे हैं। चीन पहले ही नाटà¥à¤¯à¤•à¤°à¤£ की ओर बॠचà¥à¤•à¤¾ है और à¤à¤¾à¤°à¤¤ अà¤à¥€ à¤à¥€ नाटà¥à¤¯à¤•à¤°à¤£ के लिठबातचीत ही कर रहा है। अà¤à¥€ आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¥€à¤•à¤°à¤£ को रंगमंच की ओर ले जाना चाहिà¤à¥¤â€˜â€˜ ये रिपोरà¥à¤Ÿ à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सैनà¥à¤¯ कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾à¤“ं के बारे में हैं इसलिठइसमें नाटकीयता, रंगमंच, नाटà¥à¤¯à¤•à¤°à¤£ आदि शबà¥à¤¦ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ खींचते हैं। आखिर, सैनà¥à¤¯-वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में नाटक की शबà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤²à¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— की जा रही है! इन शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— की सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ जानने के बाद पà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकी के मौजूदा सà¥à¤¤à¤° और इसके पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—करà¥à¤¤à¤¾ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ पर हंसी छूट जाà¤à¤—ी। असल में, ये अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ के शबà¥à¤¦ मिलिटà¥à¤°à¥€ थिà¤à¤Ÿà¤° कमांडà¥à¤¸, वैपन-पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤®à¥à¤¸, थिà¤à¤Ÿà¤° कमांड सेंटर सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ से जà¥à¥œà¥‡ हà¥à¤ हैं। रिपोरà¥à¤Ÿ लेखक ने इनका अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ मशीन टà¥à¤°à¤¾à¤‚सलेशन टूलà¥à¤¸ के जरिये किया है। टà¥à¤°à¤¾à¤‚सलेशन टूलà¥à¤¸ ने अपनी कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° इन शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ को नाटकीयता, रंगमंच, नाटà¥à¤¯à¤•à¤°à¤£ आदि में बदल दिया। और पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करने वालों ने इन अनà¥à¤¦à¤¿à¤¤ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ को जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का तà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— कर लिया। यदि इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤• बार सरसरी निगाह से देख लिया जाता तो फिर à¤à¤¸à¥€ गड़बड़ी बिलà¥à¤•à¥à¤² न होती कि सैनà¥à¤¯-कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में नाटà¥à¤¯ शासà¥à¤¤à¥à¤° के शबà¥à¤¦ घà¥à¤¸ जाते। इस रिपोरà¥à¤Ÿ में और डीडबà¥à¤²à¥à¤¯à¥‚ पर उपलबà¥à¤§ अनà¥à¤¯ रिपोरà¥à¤Ÿà¤¾à¥‡à¤‚ में इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की रोचक (कà¥à¤› हद तक परेशान करने वाले) उदाहरण मौजूद हैं। à¤à¤¸à¥€ की गलतियां बीबीसी के हिंदी पोरà¥à¤Ÿà¤² पर à¤à¥€ देखने को मिलेंगी। दूसरा उदाहरण हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ अखबार के 21 मारà¥à¤š, 22 के अंक में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ ‘‘शोध चोरी पर सॉफà¥à¤Ÿà¤µà¥‡à¤¯à¤° और गैजेट से नजर रखी जाà¤à¤—ी‘‘ खबर में देखा जा सकता है। इस खबर में यूजीसी की नई गाइडलाइन के उलà¥à¤²à¥‡à¤– के साथ बताया गया है कि अब ‘‘साहितà¥à¤¯ चोरी और अकादमिक गड़बड़ी’’ को तकनीक के माधà¥à¤¯à¤® से रोका जाà¤à¤—ा। यहां साहितà¥à¤¯ शबà¥à¤¦ के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— को देखिà¤à¥¤ सामानà¥à¤¯ तौर पर देखें तो किसी लिखित/वाचिक à¤à¤¾à¤·à¤¾ के माधà¥à¤¯à¤® से अंतःमन की अनà¥à¤à¥‚ति, अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ कराने वाली रचनाà¤à¤‚ साहितà¥à¤¯ कहलाती हैं। बाद साहितà¥à¤¯ शबà¥à¤¦ का अरà¥à¤¥ विसà¥à¤¤à¤¾à¤° हà¥à¤† तो इसे अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ विषयों के साथ जोड़ा जाने लगा। जैसे, पà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकी या विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ संबंधी साहितà¥à¤¯ (à¤à¤¸à¥€ लिखित या दसà¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‡à¤œà¥€ सामगà¥à¤°à¥€ जो उस विषय से संबंधित हो)। इसी कà¥à¤°à¤® में यूजीसी ने रिसरà¥à¤š संबंधी अपनी अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ शबà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤²à¥€ में रिवà¥à¤¯à¥‚ ऑफ लिटरेचर, पà¥à¤²à¥‡à¤œà¤°à¤¿à¤œà¥à¤® ऑफ लिटरेचर आदि शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया है। अनà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤•à¥‹à¤‚ ने आगा-पीछा सोचे बिना लिटरेचर का अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ साहितà¥à¤¯ कर दिया है, जबकि शोध के संदरà¥à¤ में लिटरेचर का अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ शोध-सामगà¥à¤°à¥€ या अकादमिक सामगà¥à¤°à¥€ है। (जिसमें आंकड़े, फोटो, सà¥à¤•à¥ˆà¤š, लिखित सामगà¥à¤°à¥€, रिपोरà¥à¤Ÿà¥à¤¸, लेकà¥à¤šà¤°à¥à¤¸, पिकà¥à¤šà¤°à¥à¤¸, ऑडियो-वीडियो कंटेंट आदि शामिल है और इसका संबंध कावà¥à¤¯, कथा-कहानी आदि से ही नहीं है।) धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देेने वाली बात यह है कि ऑनलाइन माधà¥à¤¯à¤®à¥‹à¤‚ पर à¤à¥€ रिसरà¥à¤š-लिटरेचर के लिठशोध-साहितà¥à¤¯ और पà¥à¤²à¥‡à¤œà¤°à¤¿à¤œà¥à¤® के लिठसाहितà¥à¤¯à¤¿à¤•-चोरी जैसे शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ की à¤à¤°à¤®à¤¾à¤° है। इन मामलों में पà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकी या टà¥à¤°à¤¾à¤‚सलेशन टूलà¥à¤¸ का उतना दोष नहीं है, जितना कि अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ करने वालों का है। ये दो उदाहरण अंतिम नहीं हैं। पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित मीडिया माधà¥à¤¯à¤®à¥‹à¤‚ और बौदà¥à¤§à¤¿à¤• जगत के विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ लोगों के लेखन और वाचन में à¤à¥€ इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की नà¥à¤¯à¥‚नताà¤à¤‚ दिखती हैं। वैसे, इससे पहले यूजीसी के नेट à¤à¤—à¥à¤œà¤¾à¤® और यूपीà¤à¤¸à¤¸à¥€ की कà¥à¤› परीकà¥à¤·à¤¾à¤“ं में à¤à¥€ सà¥à¤Ÿà¥€à¤² पà¥à¤²à¤¾à¤‚ट का अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ सà¥à¤Ÿà¥€à¤² का पौधा हो चà¥à¤•à¤¾ है.