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ग्रीन रिकवरी, ग्रीन कल्चर और ग्रीन इकाॅनामी की नितांत आवश्यकता - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


भारत में नॉर्वेजियन दूतावास के राजदूत मिस्टर हैंस जैकब फ्राइडेनलुंड, मैरिट मैरी स्ट्रैंड, काउंसलर डॉ विवेक कुमार, काउंसलर राजिंदर कुमार भसीन, एनजीआई डेनिस माइकल, दूतावास के अन्य सहयोगियों और कर्मचारियों ने विश्व विख्यात परमार्थ गंगा आरती और आज प्रातःकाल विश्व शान्ति हवन में सहभाग किया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 27 मार्च। भारत में नॉर्वेजियन दूतावास के राजदूत मिस्टर हैंस जैकब फ्राइडेनलुंड, मैरिट मैरी स्ट्रैंड, काउंसलर डॉ विवेक कुमार, काउंसलर श्री राजिंदर कुमार भसीन, एनजीआई श्री डेनिस माइकल, दूतावास के अन्य सहयोगियों और कर्मचारियों ने विश्व विख्यात परमार्थ गंगा आरती और आज प्रातःकाल विश्व शान्ति हवन में सहभाग किया। भारत में नॉर्वेजियन दूतावास के राजदूत मिस्टर हैंस जैकब फ्राइडेनलुंड ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर विभिन्न समसामयिक और वैश्विक विषयों पर चर्चा की। परमार्थ निकेतन द्वारा वैश्विक स्तर पर सम्पादित हो रहे वाटॅर, सैनिटेशन और हाइजीन से संबंधित कार्यो की सराहना करते हुये कहा की वैश्विक स्तर पर वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या स्वच्छ जल की है। साथ ही उन्होंने विकासशील देशों को अक्षय ऊर्जा ट्रांजीशन में तेजी लाने के लिए आवश्यक वैश्विक प्रयासों और उन तरीकों में तेजी लाने के विषय में भी चर्चा की। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर सभी राष्ट्रों को वर्तमान समय में ग्रीन इकाॅनामी से सर्कुलर इकॉनमी की तरफ बढ़ने की आवश्यकता है। वैश्विक स्तर पर सभी को ग्रीन ग्रोथ पर ध्यान देना होगा। ग्रीन ग्रोथ से तात्पर्य विकास की एक ऐसी प्रक्रिया से है, जिसमें मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु प्रकृति प्रदत्त संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित किये जाने के साथ पर्यावरण सुरक्षा, पर्यावरण के साथ संतुलन स्थापित करना और प्राकृतिक संसाधनों को भावी पीढ़ियों के लिये सुरक्षित रखने पर जोर देना अत्यंत आवश्यक है। स्वामी जी ने कहा कि ग्रीन ग्रोथ और सतत् विकास के माध्यम से आर्थिक विकास और पर्यावरण सुरक्षा को संतुलित करते हुए प्रगति हासिल करना अत्यंत आवश्यक है। वर्तमान समय में वैश्विक स्तर पर प्रकृति के प्रति व्यावहारिक और लचीला दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। ग्रीन ग्रोथ का उद्देश्य हरित तकनीकों के माध्यम से उत्पादकता में वृद्धि कर हरित उत्पादों का निर्माण और उनकी मांग में वृद्धि कर एक नए हरित बाजार का निर्माण करना होगा तभी हम अपनी भावी पीढ़ियों को एक सुरक्षित और स्वच्छ भविष्य प्रदान कर सकते हैं।

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