Latest News

दीक्षांत समारोह में डाॅक्टर आॅफ लेटर्स, डाॅक्टर आॅफ फिलाॅसफी, मास्टर आॅफ फिलासफी, स्नातकोत्तर, स्नातक, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट आदि उपाधियों से अलंकृत हुये छात्र


माननीय राज्यपाल, उत्तरप्रदेश एवं कुलाधिपति, डाॅ भीमराव आंबेडकर विश्व विद्यालय, आगरा श्रीमती आंनदी बेन पटेल, कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक, कुलसचिव संजीव कुमार सिंह और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर किया कार्यक्रम का शुभारम्भ

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 29 मार्च। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और राज्यपाल उत्तरप्रदेश श्रीमती आंनदी बेन पटेल ने डाॅ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय 87 वाँ दीक्षांत समारोह दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में सहभाग किया। दीक्षांत समारोह का शुभारम्भ दीप प्रज्वलित कर वन्दे मातरम् और कुलगीत के साथ हुआ। ज्ञात हो कि डाॅ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय एक प्राचीनतम और ख्याति प्राप्त विश्वविद्यालयों में से एक है, जिसने भारत को अनेक श्रेष्ठ व्यक्तित्व दिया हैं। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि नालंदा और तक्षशिला जैसे शिक्षण संस्थानों ने भारत को गौरवान्वित किया है जिसकी आज तक भी ख्याति है। भारत में शिक्षण संस्थानों में प्रवेश द्वार पर लिखा जाता है ‘शिक्षार्थ आइए सेवार्थ जाइए’ आप जब यहां से डिग्री लेकर जायंे तो इस सूत्र को याद रखें। मेडल लो पर जीवन को माॅडल बनाओ और दीये की तरह जलते रहे। जैसे दीया स्वंय जलकर दूसरों को प्रकाशित करता है वैसे ही समाज के लिये जियें। हमारी शिक्षण संस्थाओं का उद्देश्य शिक्षित समाज के निर्माण के साथ छात्रों का चरित्र का निर्माण करना भी है और शिक्षा की इसी आदर्श व्यवस्था को डाॅ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगे बढ़ा रहा है। स्वामी जी ने विद्यार्थियों को संदेश दिया कि एक मंत्र याद रखे मैं किसी से बेहतर करूं एक बात लेकिन मैं बहुतों का बेहतर करू सकु इससे बहुत फर्क पड़ता है इसलिये आज यहां से 3 मल्टी विटामिन मेडीटेशन, नो रिएक्शन, इन्ट्रोस्पेक्शन लेकर जायंे और इसका अभ्यास रोज करंे। स्वामी जी ने कहा कि आज में माँ गंगा के पावन तट से माँ यमुना के तट पर आया हूँ। गंगा और यमुना कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं करती और देती चली जाती है अपने जीवन को भी समाज सेवा और राष्ट्र सेवा में लगायें यही तो मानव जीवन की सार्थकता है। माननीय राज्यपाल, उत्तरप्रदेश श्रीमती आंनदी बेन पटेल जी जी ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मुझे परमार्थ निकेतन आश्रम, ऋषिकेश जाने का सुअवसर मिला। स्वामी जी ने भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिये अद्भुत कार्य किये। आश्रम में स्वामी जी के मार्गदर्शन में जो गतिविधियां चलती है उसे देखकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि एक आध्यात्मिक गुरू महाराज हैं जिनका सादा जीवन है तथा बच्चों को आगे बढ़ाने और गंगा की तरह उनके जीवन का शुद्धिकरण करने का कार्य वे वर्षों से करते आ रहे हैं। परमार्थ निकेतन में प्रातः हवन और सांयकालीन गंगा आरती अद्भुत है। स्वामी जी ने गंगा के तटों पर गंगा आरती का प्रबंध भी कई स्थानों पर करवाया है।

Related Post