पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ महानायक कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति कारी मंगल पांडेय ने सरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¥à¤® ईसà¥à¤Ÿ इंडिया कंपनी के खिलाफ कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ की थी और 29 मारà¥à¤š 1857 को बैरकपà¥à¤° में अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ पर हमला कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ घायल कर दिया था.
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° 29 मारà¥à¤š पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ महानायक कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति कारी मंगल पांडेय ने सरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¥à¤® ईसà¥à¤Ÿ इंडिया कंपनी के खिलाफ कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ की थी और 29 मारà¥à¤š 1857 को बैरकपà¥à¤° में अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ पर हमला कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ घायल कर दिया था. हालांकि वह पहले ईसà¥à¤Ÿ इंडिया कंपनी में à¤à¤• सैनिक के तौर पर à¤à¤°à¥à¤¤à¥€ हà¥à¤ थे लेकिन बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ अफसरों की à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कà¥à¤°à¥‚रता को देखकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के खिलाफ मोरà¥à¤šà¤¾ खोल लिया था. यह विचार आज अमृत महोतà¥à¤¸à¤µ विचार शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खला के तहतॠडॉ सà¥à¤¨à¥€à¤² कà¥à¤®à¤¾à¤° बतà¥à¤°à¤¾ ने वयकà¥à¤¤ किये. डॉ बतà¥à¤°à¤¾ ने कहा कि अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ अधिकारियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सैनिकों पर अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° तो हो ही रहा था. लेकिन हद तब हो गई. जब à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सैनिकों को à¤à¤¸à¥€ बंदूक दी गईं. जिसमें कारतूस à¤à¤°à¤¨à¥‡ के लिठदांतों से काटकर खोलना पड़ता था. इस नई à¤à¤¨à¤«à¥€à¤²à¥à¤¡ बंदूक की नली में बारूद को à¤à¤°à¤•à¤° कारतूस डालना पड़ता था. वह कारतूस जिसे दांत से काटना होता था उसके ऊपरी हिसà¥à¤¸à¥‡ पर चरà¥à¤¬à¥€ होती थी. उस समय à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सैनिकों में यह अफवाह फैली थी कि कारतूस की चरà¥à¤¬à¥€ सà¥à¤…र और गाय के मांस से बनाई गई है. ये बंदूकें 9 फरवरी 1857 को सेना को दी गईं. इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² के दौरान जब इसे मà¥à¤‚ह लगाने के लिठकहा गया तो मंगल पांडे ने à¤à¤¸à¤¾ करने से मना कर दिया था. उसके बाद अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ अधिकारी गà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ हो गà¤. फिर 29 मारà¥à¤š 1857 को उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सेना से निकालने, वरà¥à¤¦à¥€ और बंदूक वापस लेने का फरमान सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¤¾ गया. इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से यह चिंगारी हिनà¥à¤¦à¥‚ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® à¤à¤•à¤¤à¤¾ की मिसाल बनी तथा देश की आज़ादी में मील का पतà¥à¤¥à¤° साबित हà¥à¤ˆà¤‚ डॉ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ पाठक ने इस अवसर पर कहा कि मंगल पांडे ने अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के खिलाफ बैरकपà¥à¤° में जो बिगà¥à¤² फूंका था. वह जंगल की आग की तरह फैलने लगी. विदà¥à¤°à¥‹à¤¹ की चिंगारी पूरे उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में फैल गई. इतिहासकारों का कहना है कि विदà¥à¤°à¥‹à¤¹ इतना तेजी से फैला था कि मंगल पांडे को फांसी 18 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² को देना था लेकिन 10 दिन पहले 8 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² को ही दे दी गई. डॉ संजय माहेशà¥à¤µà¤°à¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इस अवसर पर बताया गया कि बैरकपà¥à¤° छावनी के सà¤à¥€ जलà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ ने मंगल पांडे को फांसी देने से इनकार कर दिया था. फांसी देने के लिठबाहर जलà¥à¤²à¤¾à¤¦ बà¥à¤²à¤¾à¤ गठथे. 1857 की कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति à¤à¤¾à¤°à¤¤ का पहला सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® था. जिसकी शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ मंगल पांडे के विदà¥à¤°à¥‹à¤¹ से शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆ थी इस अवसर पर डॉ विजय शरà¥à¤®à¤¾, डॉ विनीता चौहान, डॉ अमिता शà¥à¤°à¥€ वासà¥à¤¤à¤µ, डॉ पदमावती तनेजा, डॉ आशा शरà¥à¤®à¤¾, डॉ सरोज शरà¥à¤®à¤¾, डॉ मोना शरà¥à¤®à¤¾, डॉ महिमा नागयान, डॉ रेणॠसिंह, दीपिका आंनद, पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤‚का पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¿à¤‚स शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯, विनीत सकà¥à¤¸à¥‡à¤¨à¤¾, वैà¤à¤µ बतà¥à¤°à¤¾, अंतिम तà¥à¤¯à¤¾à¤—ी मोहन चनà¥à¤¦à¥à¤° पांडे उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रहें.