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नशा, जिन्दगी का करता है नाश - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


अंतर्राष्ट्रीय ड्रग जाँच दिवस जनसमुदाय को नशीली दवाओं के बारे में शिक्षित करने और उससे शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष 31 मार्च को मनाया जाता है। आज के दिन का उद्देश्य नशीली दवाओं के उपयोग में कमी लाना और नशीली दवाओं से संबंधित जोखिमों को कम करना है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 31 मार्च। अंतर्राष्ट्रीय ड्रग जाँच दिवस जनसमुदाय को नशीली दवाओं के बारे में शिक्षित करने और उससे शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष 31 मार्च को मनाया जाता है। आज के दिन का उद्देश्य नशीली दवाओं के उपयोग में कमी लाना और नशीली दवाओं से संबंधित जोखिमों को कम करना है। नशीले पदार्थों के प्रति जागरूकता बढ़ाने से अनेकों युवाओं को नशे से बचाया जा सकता है। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज अंतर्राष्ट्रीय ड्रग जांच दिवस के अवसर पर युवाओं को संदेश देते हुये कहा कि नशीले पदार्थों से दूर रहे क्योंकि नशा कभी भी जिंदगी से बड़ा हो नहीं हो सकता। नशा, जिन्दगी का नाश करता है। अतः नशे को अपने जीवन से समाप्त करने के लिये उसे पहले अपनी सोच से बाहर निकलना होगा। नशा केवल कैंसर ही नहीं बल्कि दिल की धड़कन को रोक देता है इसलिये जिन्दगी चुनंे नशा नहीं। प्रभु ने गिनती की साँसंे दी है और वह भी हमारे युवा नशा करके कम कर रहे है। रिसर्च के अनुसार एक सिगरेट पीने से एक साँस कम हो जाती है, एक बीड़ी पीने से दो साँसे कम हो जाती है और एक पैकेट गुटका खाने से चार साँसे कम हो जाती है। भारत में दस लाख और विश्व स्तर में 70 लाख से अधिक लोग हर साल नशीली दवाईयों, तम्बाकू और सिगरेट के सेवन से अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जाते है। स्वामी जी ने कहा कि नशे से बाहर निकलने के लिये आध्यात्मिक मार्ग और ध्यान सबसे बेहतर है। ध्यान का एक ऐसा नशा है जो भीतर की मस्ती, आनन्द और दिव्यता प्रदान करता है। ध्यान के माध्यम से हम अपने आप से जुड़ें तो नशे की प्रवृति भी छूटेगी, व्यसन भी छूटेंगे और हम व्यस्त रहते हुये भी मस्त रह सकेंगे।

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