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पतंजलि विश्वविद्यालय प्रांगण में पूज्य मोरारी बापू के श्रीमुख से प्रारंभ हुआ श्रीराम कथा


विगत कई दशकों से परम पूज्य मोरारी बापू जी अपने मुखारविन्द से प्रभु श्रीराम कथा वाचन द्वारा भक्तों को भक्तिरस का पान करा रहे हैं। स्वामी रामदेव के संन्यास दिवस के पावन अवसर पर दिनांक 02 अप्रैल से 10 अप्रैल तक आगामी 9 दिन यह श्रीराम कथा रूपी अमृत गंगा पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रांगण से बहेगी। कथा व्यास मुरारी बापू ने ‘मानस गुरुकुल’ बताया। कथा के प्रथम दिन स्वामी रामदेव महाराज व आचार्य बालकृष्ण ने व्यासपीठ को प्रणाम करते हुए पूज्य मोरारी बापू से कथा प्रारंभ करने का अनुरोध किया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार 02, अप्रैल। विगत कई दशकों से परम पूज्य मोरारी बापू जी अपने मुखारविन्द से प्रभु श्रीराम कथा वाचन द्वारा भक्तों को भक्तिरस का पान करा रहे हैं। स्वामी रामदेव के संन्यास दिवस के पावन अवसर पर दिनांक 02 अप्रैल से 10 अप्रैल तक आगामी 9 दिन यह श्रीराम कथा रूपी अमृत गंगा पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रांगण से बहेगी। कथा व्यास मुरारी बापू ने ‘मानस गुरुकुल’ बताया। कथा के प्रथम दिन स्वामी रामदेव महाराज व आचार्य बालकृष्ण ने व्यासपीठ को प्रणाम करते हुए पूज्य मोरारी बापू से कथा प्रारंभ करने का अनुरोध किया। कार्यक्रम में मोरारी बापू ने कहा कि स्वामी रामदेव सदैव Personally Reasonless Vission के साथ आगे बढ़े हैं। इनका सपना है कि मेरा देश ऐसा हो, देश में ऐसे गुरुकुल बनें, ऐसा विद्याध्ययन हो, ऐसे चिकित्सा केन्द्र हों आदि। ऐसे बाबा को मेरा प्रणाम। उन्होंने कहा कि हम भगवान पतंजलि की छाया में हैं, यहाँ आकर दिव्य अनुभूति हो रही है। ऐसे स्थान पर ईश्वर की सन्निधि में कथा का वाचन करना मेरा सौभाग्य है। यहाँ आकर लगता है कि भारत का भविष्य स्वर्णिम है। प्रथम दिन पूज्य बापू ने बालकाण्ड पर चर्चा करते हुए भगवान् राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघन के चरित्र पर विस्तृत चर्चा की। इस अवसर पर स्वामी ने कहा कि बापू जी मात्र एक व्यक्ति नहीं अपितु ऋषि परम्परा के प्रतिनिधि, सनातन संस्कृति के गौरव व ऋषि चेतना के मूर्त रूप हैं। ऐसे महापुरुषों की उपस्थिति ही बहुत बड़ा आशीष है। स्वामी ने कहा कि विटामिन्स, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन आदि की डेफिशिएंसी आजकल आम बात हो गई है। इनकी पूर्ति तो चिकित्सा जगत किसी न किसी रूप में कर ही रहा है किन्तु इमोशनल और मेंटल डेफिशिएंसी का उचपार चिकित्सा जगत के पास नहीं है। इमोशनल और मेंटल डेफिशिएंसी का उपचार केवल मात्र अध्यात्म में है और पूज्य बापू कथा वाचन से इन्हीं विकृतियों का उपचार कर रहे हैं। एकात्म होकर बापू को सुनें और अपनी अपूर्णताएँ व दुर्बलताएँ दूर करें।

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