तीरà¥à¤¥ नगरी में पà¥à¤°à¤¥à¤® नवरातà¥à¤°à¥‡ पर माता के मंदिरों में à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की à¤à¤¾à¤°à¥€ à¤à¥€à¤¡à¤¼ दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ हेतॠलगी हà¥à¤ˆ है। माता के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के साथ पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ हेतॠशà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं में à¤à¤¾à¤°à¥€ उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ है।
रिपोर्ट - विकास शरà¥à¤®à¤¾
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° 2 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² (विकास शरà¥à¤®à¤¾) तीरà¥à¤¥ नगरी में पà¥à¤°à¤¥à¤® नवरातà¥à¤°à¥‡ पर माता के मंदिरों में à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की à¤à¤¾à¤°à¥€ à¤à¥€à¤¡à¤¼ दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ हेतॠलगी हà¥à¤ˆ है। माता के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के साथ पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ हेतॠशà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं में à¤à¤¾à¤°à¥€ उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ है। धरà¥à¤®à¤¨à¤—री हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में माठदà¥à¤°à¥à¤—ा के अनेक मंदिर है। इनà¥à¤¹à¥€ पौराणिक मंदिरों में मां मनसा व मां चंडी देवी मंदिर और माया देवी मंदिर पà¥à¤°à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ शकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ ों में से à¤à¤• हैं। यहां चंडी देवी मंदिर में माठà¤à¤—वती खमà¥à¤¬ रूप में विराजमान है। वैसे तो साल à¤à¤° यहां à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹ का ताà¤à¤¤à¤¾ लगा रहता है। मगर पावन नवरातà¥à¤°à¥‹à¤‚ के दौरान मां चंडी देवी व मनसा देवी तथा माया देवी मंदिरों की छठा अलग ही देखने को मिलती है। यही कारण है आज पहले नवरातà¥à¤° पर यहाठà¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की à¤à¤¾à¤°à¥€ à¤à¥€à¥œ उमड़ी हà¥à¤ˆ है। पौराणिक कथाओं के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मां चंडी देवी देवताओं के आहà¥à¤µà¤¾à¤¨ पर पà¥à¤°à¤—ट हो हà¥à¤ˆ थी। जब शà¥à¤‚ठनिशà¥à¤‚ठराकà¥à¤·à¤¸à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ धरती पर आतंक मचाया हà¥à¤† था देवतागण à¤à¥€ उन राकà¥à¤·à¤¸à¥‹à¤‚ का वध करने में असमरà¥à¤¥ थे। तब देवताओं की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ पर देवी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ राकà¥à¤·à¤¸à¥‹à¤‚ का वध करने का निरà¥à¤£à¤¯ लिया। देवी के पà¥à¤°à¤•à¥‹à¤ª से बचने के लिठदोनों राकà¥à¤·à¤¸ नील परà¥à¤µà¤¤ पर जाकर छà¥à¤ª गà¤à¥¤ तà¤à¥€ माता ने यहां पर खंठरूप में पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ होकर दोनों का वध कर दिया। इसके उपरानà¥à¤¤ देवताओं के आहà¥à¤µà¤¾à¤¨ पर माठचंडी, मानव जाती के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिठइसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर खमà¥à¤¬ के रूप में विराजमान हो गई और आदि काल के अपने à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ करती आ रही हैं। इन पौराणिक सिदà¥à¤§ पीठों में जो à¤à¥€ à¤à¤•à¥à¤¤ सचà¥à¤šà¥‡ मन से कोई à¤à¥€ मà¥à¤°à¤¾à¤¦ मांगता है, माठउसे जरूर पूरा करती है। अपनी मà¥à¤°à¤¾à¤¦ पूरी करने के लिठमंदिर परिसर में माता की चà¥à¤¨à¤°à¥€ बांधने की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है। मà¥à¤°à¤¾à¤¦ पूरी होने पर à¤à¤•à¥à¤¤ चà¥à¤¨à¤°à¥€ खोलने के लिठदोबारा मंदिर आते हैं। यही कारण है की नवरातà¥à¤°à¥‹à¤‚ के दौरान यहां पर दूर-दूर से आने वाले à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की लमà¥à¤¬à¥€ लमà¥à¤¬à¥€ कतारें नजर आती हैं।