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प्रथम चैत्र नवरात्रि पर तीर्थ नगरी के सिद्ध पीठों में उमड़ी भक्तों की भीड़, दर्शनों हेतु लंबी कतारें।


तीर्थ नगरी में प्रथम नवरात्रे पर माता के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ दर्शनों हेतु लगी हुई है। माता के दर्शनों के साथ पूजा अर्चना हेतु श्रद्धालुओं में भारी उत्साह है।

रिपोर्ट  - à¤µà¤¿à¤•à¤¾à¤¸ शर्मा

हरिद्वार 2 अप्रैल (विकास शर्मा) तीर्थ नगरी में प्रथम नवरात्रे पर माता के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ दर्शनों हेतु लगी हुई है। माता के दर्शनों के साथ पूजा अर्चना हेतु श्रद्धालुओं में भारी उत्साह है। धर्मनगरी हरिद्वार में माँ दुर्गा के अनेक मंदिर है। इन्ही पौराणिक मंदिरों में मां मनसा व मां चंडी देवी मंदिर और माया देवी मंदिर प्रख्यात शक्तिपीठों में से एक हैं। यहां चंडी देवी मंदिर में माँ भगवती खम्ब रूप में विराजमान है। वैसे तो साल भर यहां भक्तो का ताँता लगा रहता है। मगर पावन नवरात्रों के दौरान मां चंडी देवी व मनसा देवी तथा माया देवी मंदिरों की छठा अलग ही देखने को मिलती है। यही कारण है आज पहले नवरात्र पर यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी हुई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मां चंडी देवी देवताओं के आह्वान पर प्रगट हो हुई थी। जब शुंभ निशुंभ राक्षसों द्वारा धरती पर आतंक मचाया हुआ था देवतागण भी उन राक्षसों का वध करने में असमर्थ थे। तब देवताओं की स्तुति पर देवी द्वारा राक्षसों का वध करने का निर्णय लिया। देवी के प्रकोप से बचने के लिए दोनों राक्षस नील पर्वत पर जाकर छुप गए। तभी माता ने यहां पर खंभ रूप में प्रकट होकर दोनों का वध कर दिया। इसके उपरान्त देवताओं के आह्वान पर माँ चंडी, मानव जाती के कल्याण के लिए इसी स्थान पर खम्ब के रूप में विराजमान हो गई और आदि काल के अपने भक्तों का कल्याण करती आ रही हैं। इन पौराणिक सिद्ध पीठों में जो भी भक्त सच्चे मन से कोई भी मुराद मांगता है, माँ उसे जरूर पूरा करती है। अपनी मुराद पूरी करने के लिए मंदिर परिसर में माता की चुनरी बांधने की मान्यता है। मुराद पूरी होने पर भक्त चुनरी खोलने के लिए दोबारा मंदिर आते हैं। यही कारण है की नवरात्रों के दौरान यहां पर दूर-दूर से आने वाले भक्तों की लम्बी लम्बी कतारें नजर आती हैं।

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