पतंजलि विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में ‘मानस गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤²â€™ विषय पर आयोजित रामकथा का शà¥à¤à¤¾à¤°à¤‚ठहनà¥à¤®à¤¾à¤¨ चालिसा से हà¥à¤†à¥¤ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में पूजà¥à¤¯ मोरारी बापू ने कहा कि रामनाम सरल तो है किनà¥à¤¤à¥ यह महामंतà¥à¤° है, बीजमंतà¥à¤° है।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° 03, अपà¥à¤°à¥ˆà¤²à¥¤ पतंजलि विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में ‘मानस गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤²â€™ विषय पर आयोजित रामकथा का शà¥à¤à¤¾à¤°à¤‚ठहनà¥à¤®à¤¾à¤¨ चालिसा से हà¥à¤†à¥¤ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में मोरारी बापू ने कहा कि रामनाम सरल तो है किनà¥à¤¤à¥ यह महामंतà¥à¤° है, बीजमंतà¥à¤° है। कलियà¥à¤— में रामनाम संकीरà¥à¤¤à¤¨ सबसे शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ है। मानस गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² विषय के कà¥à¤°à¤® में मोरारी बापू ने गà¥à¤°à¥, गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤², गà¥à¤°à¥-शिषà¥à¤¯ परंपरा की महतà¥à¤¤à¤¾ को बताया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² यदि आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• तौर पर कोई अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤•à¥à¤°à¤® निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ करता है तो उसकी शà¥à¤°à¥‚आत हमारी पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¨ सनातन परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ से करता है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया कि गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® हमें धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता है, जगत में अरà¥à¤¥ की à¤à¥€ आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है तो गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² पारमारà¥à¤¥à¤¿à¤• अरà¥à¤¥ à¤à¥€ देता है, गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² हमें वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° कारà¥à¤¯ à¤à¥€ देता है और अंततः गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² हमें मोकà¥à¤· à¤à¥€ देता है। बापू ने बताया कि रामचरित मानस में गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² कोई शबà¥à¤¦ ही नहीं है, वहाठगà¥à¤°à¥ गृह का उलà¥à¤²à¥‡à¤– है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने देश के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से पà¥à¤¨à¥‡ आठपतंजलि गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤²à¤®à¥ व पतंजलि विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को समà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ करते हà¥à¤ कि आप यहाठइस मानसिकता से आà¤à¤ कि गà¥à¤°à¥ के गृह आ रहे हैं। गà¥à¤°à¥à¤ƒ गृह और गà¥à¤°à¥à¤—ृह में मौलिक अनà¥à¤¤à¤° है। गà¥à¤°à¥à¤ƒ गृह सांसारियों का घर है जिसमें à¤à¥‹à¤— की पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ रहती है वहीं गà¥à¤°à¥à¤—ृह संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का घर है जहाठयोग की पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ होती है। संसारियों के घर में किसी न किसी मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ पर संघरà¥à¤· की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ रहती है। गà¥à¤°à¥à¤—ृह में शानà¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ व समरà¥à¤ªà¤£ की पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ रहती है। संसारियों के घर में रिशà¥à¤¤à¥‡-नाते आदि समà¥à¤¬à¤‚ध होते हैं और समà¥à¤¬à¤‚ध में बंधन रहता है वहीं गà¥à¤°à¥à¤—ृह à¤à¤• आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• समà¥à¤¬à¤‚ध पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता है जिसमें निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ दूरी रहती है, सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ रहती है। हमारे देश में कई विचारधाराà¤à¤ आईं जो गà¥à¤°à¥ का निषेध करती हैं कि गà¥à¤°à¥ की कोई जरूरत नहीं। गà¥à¤°à¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ को à¤à¤œà¥‡à¤‚ट बताया गया, नासà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¦ उà¤à¤°à¤¾à¥¤ लेकिन संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ की यह परंपरा गà¥à¤°à¥ की पावन परंपरा है इसलिठयहाठदà¥à¤µà¥ˆà¤¤ आवशà¥à¤¯à¤• है। गà¥à¤°à¥ बिना गति नहीं है। रामचरित मानस का पà¥à¤°à¤¥à¤® पà¥à¤°à¤•à¤°à¤£ गà¥à¤°à¥ वंदना से ही पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहोता है। बालकाणà¥à¤¡ व अयोधà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤¾à¤£à¥à¤¡ में गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² की महतà¥à¤¤à¤¾ को बताया गया है। गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² में मैतà¥à¤°à¥€ करना सिखाया गया है जिसका वरà¥à¤£à¤¨ किशà¥à¤•à¤¿à¤‚धा काणà¥à¤¡ में मिलता है। पूजà¥à¤¯ बापू ने कहा कि गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² तो सà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ हैं किनà¥à¤¤à¥ विचारों का आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ तो पूरे विशà¥à¤µ में जाà¤à¤—ा। इस अवसर पर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामदेव ने कहा कि रामकथा का यह पावन अनà¥à¤·à¥à¤ ान और चैतà¥à¤° नवरातà¥à¤° में à¤à¤• समरà¥à¤¥ गà¥à¤°à¥ का आशà¥à¤°à¤¯ परम सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ की बात है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि गà¥à¤°à¥ सतà¥à¤¤à¤¾ व पà¥à¤°à¤à¥ सतà¥à¤¤à¤¾ के साथ हमारी à¤à¤•à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¤à¤¾ के सà¥à¤µà¤° हमारे वेदों ने गाठहैं। वेदों में कहा गया है कि हे मेरे गà¥à¤°à¥, मेरे परमातà¥à¤®à¤¾ मैं तà¥à¤à¤®à¥‡à¤‚ इतना खो जाऊठकि मेरा पूरा असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ तà¥à¤à¤®à¥‡à¤‚ विलीन हो जाà¤à¥¤ मैं आपके आशीषों से, आपके उपकारों से इतना उपकृत हूठकि बिना माà¤à¤—े ही मेरी सारी मनोकामनाà¤à¤ पूरà¥à¤£ हो गईं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ रामायण, रामचरित मानस, शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥à¤à¤—वदगीता आदि अà¤à¥€ तक जितने à¤à¥€ कालजयी गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लिखे गठहैं, ये मातà¥à¤° किसी à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ नहीं हो सकता। इसके पीछे पूरी समषà¥à¤Ÿà¤¿ में à¤à¤—वान का विधान कारà¥à¤¯ कर रहा है। उस विधान के अनà¥à¤°à¥‚प, यà¥à¤—धरà¥à¤® के अनà¥à¤°à¥‚प पूजà¥à¤¯ बापू जैसे समरà¥à¤¥ गà¥à¤°à¥ हमारे साथ हैं यह पतंजलि योगपीठही नहीं पूरे à¤à¤¾à¤°à¤¤ का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि बापू हमारे लिठपिता तà¥à¤²à¥à¤¯, पथ-पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤•, सनातन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ के गौरव तथा ऋषि परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ हैं। हमे à¤à¤¸à¥‡ समरà¥à¤¥ गà¥à¤°à¥ की सनà¥à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ में हमें इनका अकिंचन दासतà¥à¤µ, इनका अनà¥à¤—à¥à¤°à¤¹, इनकी शरणागति का लाठमिला, यह हमारे जीवन का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ है। पूजà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी महाराज ने राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ à¤à¤œà¤¨ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर मन मोह लिया।