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सत्य एवं धर्म का समाज में सर्वोपरि स्थान होना चाहिए: स्वामी रामदेव


कठस्थ शास्त्रों को सुनकर मोरारी बापू इन बाल छात्र-छात्राओं से बहुत प्रभावित हो गये और उन्होंने कहा कि आज परम स्वामी एवं आचार्य बल्क्रष्ण आचार्यकुलम् व ऐसे ही विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रयास कर रहे हैं|

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार 04, अप्रैल। पतंजलि विश्वविद्यालय में आयोजित रामकथा जोकि ‘मानस गुरुकुल’ विषय पर आधारित है, जिसका शुभारंभ हनुमान चालिसा से हुआ, जहां पर स्वामी रामदेव ने आचार्यकुलम् एवं गुरुकुलम् के छात्र-छात्राओं के साथ पंचउपदेश, पंचदर्शन, एकोपनिषदों एवं पांच शास्त्रों से 21 शास्त्रों का रसपान छोटे-छोटे छात्र-छात्राओं से करवाया। कठस्थ शास्त्रों को सुनकर मोरारी बापू इन बाल छात्र-छात्राओं से बहुत प्रभावित हो गये और उन्होंने कहा कि आज परम स्वामी एवं आचार्य बल्क्रष्ण आचार्यकुलम् व ऐसे ही विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रयास कर रहे हैं, जिसकी जडे़ हमारे ‘वेद’ हैं। ऐसे छात्र-छात्राए यहां पर तैयार किए जा रहे है, जो भारत का, पृथ्वी का, दुनियां का भविष्य होंगे। इस अवसर पर मोरारी बापू ने आज कथा के माध्यम से उन लोगों पर भी चोट करी, जो राम कथा को कहानी या वार्ता की संज्ञा देते है। पूज्य जी का कहना है कि यदि कोई छोटी सी वार्ता या कहानी किसी को प्रसन्नता देती है तो वह वार्ता मनुष्य को क्या|

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