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नवरात्रि पर्व उज्वलता और जीवंतता का प्रतीक - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


नवरात्रि के पांचवे दिन परमार्थ निकेतन में विशेष हवन का आयोजन किया गया जिसमें स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में देश-विदेश से आये श्रद्धालुओं ने सहभाग किया। आज के इस पावन अवसर पर परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने दुर्गा चालीस और देवी सप्तशती का पाठ किया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 6 अप्रैल। नवरात्रि के पांचवे दिन परमार्थ निकेतन में विशेष हवन का आयोजन किया गया जिसमें स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में देश-विदेश से आये श्रद्धालुओं ने सहभाग किया। आज के इस पावन अवसर पर परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने दुर्गा चालीस और देवी सप्तशती का पाठ किया। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि नवरात्रि पर्व उज्वलता और जीवंतता का प्रतीक है। नवरात्रि वह पावन अवसर है जब हमारे भीतर के तामसी और नकारात्मक विचारों का शमन होता है और सकारात्मक और कल्याण कारी गुणों का विकास होता है। स्वामी जी ने कहा कि भारत विभिन्न संस्कृतियों, संस्कारों, आस्थाओं और परम्पराओं का राष्ट्र है। हमारे राष्ट्र में संस्कृतियों की भिन्नतायें होने के बाद भी मेलों और त्योहारों ने सभी को एक सूत्र में बांध रखा हैं। त्योहार आपस में मेलजोल तो बढ़ाते है साथ ही आपसी संबंधों को भी मजबूत करते है। भारत का प्रत्येक पर्व और त्यौहार देवी -देवताओं के साथ पर्यावरण को भी समर्पित है और नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ अलग अलग रूपों की आराधना कर सुख-समृद्धि और शान्ति की कामना की जाती है। माँ दुर्गा ब्रह्मांड की ऊर्जा व दिव्य ‘शक्ति’ का परम स्रोत है। नवरात्रि का पर्व माँ दुर्गा की शाश्वत शक्ति, आशीर्वाद और सम्पूर्ण सुरक्षा का भी पर्व है। साथ ही नवरात्रि बुराई पर अच्छाई की जीत; नकारात्मकता पर सकारात्मकता की विजय के जश्न का पर्व है। ये नौ दिन पूरी तरह से माँ दुर्गा के नौ अवतारों को समर्पित हैं। नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी के एक नये अवतार से जुड़ा है। आज पांचवे दिन स्कंदमाता की आराधना की जाती है। स्कंदमाता कार्तिकेय की माता के रूप में जो कि परिवर्तनकारी शक्ति का प्रतीक है, जब बच्चे को खतरे का सामना करना पड़ता है तब शेर पर सवारी करते हुए, चार भुजाओं वाली माता अपने बच्चों की रक्षा के लिये समर्पित अवतार है। नवरात्रि के पहले तीन दिन तामसिक गुणों को दर्शाते हैं जहां माँ दुर्गा एक आध्यात्मिक शक्ति के रूप में सभी बुराइयों को नष्ट करती हैं और आशीर्वाद व वरदान देती हैं। आगामी तीन दिन राजसिक गुणों का प्रतीक हैं, जहाँ माँ आध्यात्मिक शक्ति की दाता है। अंतिम तीन दिन सात्विक गुणों के प्रतीक है जो जहां ज्ञान की देवी का आह्वान किया जाता है। जीवन में सर्वांगीण विकास के लिए, हमारे अंदर सकारात्मकता का समर्थन प्राप्त करने और नकारात्मकता को दूर कर हमारे भीतर दिव्यता का आह्वान कराता है।

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