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भारतीयता व राष्ट्रीयता पतंजलि योगपीठ से गौरवान्वित: ज्ञानानंद महाराज


ज्ञानानंद महाराज ने व्यासपीठ को प्रणाम करते हुए कहा कि वैसे तो रामकथा कहीं पर भी, कभी भी, किसी के भी मुख से सुनी जाए तो लाभ ही देगी परन्तु हरिद्वार की पावन धरा पर माँ गंगा के पावन तट पर, जिस जगह भारतीय परम्पराओं को हर प्रकार से उन्नयन, सम्मान मिलता हो, भारतीयता व राष्ट्रीयता गौरवान्वित होती हो, ऐसे पतंजलि योगपीठ के आंगन में चैत्र-शुक्ल नवरात्र में और वह भी व्यासपीठ से पूज्य मोरारी बापू के श्रीमुख से मुखित श्री राम की कथा का श्रवण आनंदित करने वाला है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार, 08 अप्रैल। पतंजलि विश्वविद्यालय में ‘मानस गुरुकुल’ विषयक राम कथा में मोरारी बापू ने गीता को केन्द्र में रखते हुए कहा कि वैसे तो सात गीता हैं किन्तु रामचरितमानस में पंचगीता का उल्लेख है। रामचरित मानस का पहला अध्याय ही गुरुगीता है। उसके उपरान्त निषाद गीता, लक्ष्मण गीता, अनुसूया गीता और भुसुण्डी गीता आते हैं। उन्होंने कहा कि युद्ध से न तो रामायण में कोई समाधान या उपाय है न ही महाभारत में। जगत के विश्राम के लिए एकमात्र उपाय है ‘बुद्धत्व’। युद्ध के लिए नहीं जाना है, बुद्धत्व को जानने के लिए जाना है। मारना कोई हल नहीं है, तारणे से समस्या हल होती है। एक साधक द्वारा पूछे प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हनुमान जी ने सूर्य गुरुकुल में दीक्षा ली है। सूर्य भगवान हमें ब्रह्मविद्या, योगविद्या, वेद विद्या और अध्यात्म विद्या सिखाते हैं। हनुमान जी इन सभी विद्याओं में निपुण हैं लेकिन इनका प्रयोग केवल रामकाज के लिए ही करते हैं। एक अन्य प्रसंग में उन्होंने कहा कि भरत जी योग विद्या की साक्षात प्रतिमूर्ति हैं। उनमें अष्टांग योग में सभी तत्व- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि विद्यमान हैं। पूज्य बापू ने कहा की भरत जी ने कभी युद्ध नहीं किया किन्तु लक्ष्मण शक्ति के समय जब हनुमान जी संजीवनी लेकर अयोध्या के ऊपर से गुजर रहे थे तो उन्होंने भी भय से आक्रांत होकर बाण चढ़ा लिया था। कथा के बीच मोरारी बापू ने भगवान शिव के विवाह का वर्णन किया। माता पार्वती के विषय में उन्होंने कहा कि नारी जैसा गुरु होगा तभी शंका दूर होगी। कार्यक्रम में ज्ञानानंद महाराज ने व्यासपीठ को प्रणाम करते हुए कहा कि वैसे तो रामकथा कहीं पर भी, कभी भी, किसी के भी मुख से सुनी जाए तो लाभ ही देगी परन्तु हरिद्वार की पावन धरा पर माँ गंगा के पावन तट पर, जिस जगह भारतीय परम्पराओं को हर प्रकार से उन्नयन, सम्मान मिलता हो, भारतीयता व राष्ट्रीयता गौरवान्वित होती हो, ऐसे पतंजलि योगपीठ के आंगन में चैत्र-शुक्ल नवरात्र में और वह भी व्यासपीठ से पूज्य मोरारी बापू के श्रीमुख से मुखित श्री राम की कथा का श्रवण आनंदित करने वाला है।

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