जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¾à¤¨à¤‚द महाराज ने वà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤ªà¥€à¤ को पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® करते हà¥à¤ कहा कि वैसे तो रामकथा कहीं पर à¤à¥€, कà¤à¥€ à¤à¥€, किसी के à¤à¥€ मà¥à¤– से सà¥à¤¨à¥€ जाठतो लाठही देगी परनà¥à¤¤à¥ हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° की पावन धरा पर माठगंगा के पावन तट पर, जिस जगह à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं को हर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से उनà¥à¤¨à¤¯à¤¨, समà¥à¤®à¤¾à¤¨ मिलता हो, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ व राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ गौरवानà¥à¤µà¤¿à¤¤ होती हो, à¤à¤¸à¥‡ पतंजलि योगपीठके आंगन में चैतà¥à¤°-शà¥à¤•à¥à¤² नवरातà¥à¤° में और वह à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤ªà¥€à¤ से पूजà¥à¤¯ मोरारी बापू के शà¥à¤°à¥€à¤®à¥à¤– से मà¥à¤–ित शà¥à¤°à¥€ राम की कथा का शà¥à¤°à¤µà¤£ आनंदित करने वाला है।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, 08 अपà¥à¤°à¥ˆà¤²à¥¤ पतंजलि विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में ‘मानस गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤²â€™ विषयक राम कथा में मोरारी बापू ने गीता को केनà¥à¤¦à¥à¤° में रखते हà¥à¤ कहा कि वैसे तो सात गीता हैं किनà¥à¤¤à¥ रामचरितमानस में पंचगीता का उलà¥à¤²à¥‡à¤– है। रामचरित मानस का पहला अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ ही गà¥à¤°à¥à¤—ीता है। उसके उपरानà¥à¤¤ निषाद गीता, लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ गीता, अनà¥à¤¸à¥‚या गीता और à¤à¥à¤¸à¥à¤£à¥à¤¡à¥€ गीता आते हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि यà¥à¤¦à¥à¤§ से न तो रामायण में कोई समाधान या उपाय है न ही महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ में। जगत के विशà¥à¤°à¤¾à¤® के लिठà¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° उपाय है ‘बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¤à¥à¤µâ€™à¥¤ यà¥à¤¦à¥à¤§ के लिठनहीं जाना है, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¤à¥à¤µ को जानने के लिठजाना है। मारना कोई हल नहीं है, तारणे से समसà¥à¤¯à¤¾ हल होती है। à¤à¤• साधक दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पूछे पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ का जवाब देते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी ने सूरà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² में दीकà¥à¤·à¤¾ ली है। सूरà¥à¤¯ à¤à¤—वान हमें बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾, योगविदà¥à¤¯à¤¾, वेद विदà¥à¤¯à¤¾ और अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® विदà¥à¤¯à¤¾ सिखाते हैं। हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी इन सà¤à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं में निपà¥à¤£ हैं लेकिन इनका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— केवल रामकाज के लिठही करते हैं। à¤à¤• अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि à¤à¤°à¤¤ जी योग विदà¥à¤¯à¤¾ की साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¥‚रà¥à¤¤à¤¿ हैं। उनमें अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤‚ग योग में सà¤à¥€ ततà¥à¤µ- यम, नियम, आसन, पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤®, पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¹à¤¾à¤°, धारणा, धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ और समाधि विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं। पूजà¥à¤¯ बापू ने कहा की à¤à¤°à¤¤ जी ने कà¤à¥€ यà¥à¤¦à¥à¤§ नहीं किया किनà¥à¤¤à¥ लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ शकà¥à¤¤à¤¿ के समय जब हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी संजीवनी लेकर अयोधà¥à¤¯à¤¾ के ऊपर से गà¥à¤œà¤° रहे थे तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¥€ à¤à¤¯ से आकà¥à¤°à¤¾à¤‚त होकर बाण चà¥à¤¾ लिया था। कथा के बीच मोरारी बापू ने à¤à¤—वान शिव के विवाह का वरà¥à¤£à¤¨ किया। माता पारà¥à¤µà¤¤à¥€ के विषय में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि नारी जैसा गà¥à¤°à¥ होगा तà¤à¥€ शंका दूर होगी। कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¾à¤¨à¤‚द महाराज ने वà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤ªà¥€à¤ को पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® करते हà¥à¤ कहा कि वैसे तो रामकथा कहीं पर à¤à¥€, कà¤à¥€ à¤à¥€, किसी के à¤à¥€ मà¥à¤– से सà¥à¤¨à¥€ जाठतो लाठही देगी परनà¥à¤¤à¥ हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° की पावन धरा पर माठगंगा के पावन तट पर, जिस जगह à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं को हर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से उनà¥à¤¨à¤¯à¤¨, समà¥à¤®à¤¾à¤¨ मिलता हो, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ व राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ गौरवानà¥à¤µà¤¿à¤¤ होती हो, à¤à¤¸à¥‡ पतंजलि योगपीठके आंगन में चैतà¥à¤°-शà¥à¤•à¥à¤² नवरातà¥à¤° में और वह à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤ªà¥€à¤ से पूजà¥à¤¯ मोरारी बापू के शà¥à¤°à¥€à¤®à¥à¤– से मà¥à¤–ित शà¥à¤°à¥€ राम की कथा का शà¥à¤°à¤µà¤£ आनंदित करने वाला है।