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साधना में निहित है अपार शक्ति - डॉ. पण्ड्या


अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि साधना में अपार शक्ति निहित है और यदि नवरात्र के दिनों में मनोयोगपूर्वक साधना की जाय, तो सर्वशक्तिमान माता की विशेष शक्ति और आशीष प्राप्त होता है, जिससे साधक बड़े से बड़ा काम सहज रूप से सम्पन्न कर लेता है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार ९ मार्च। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि साधना में अपार शक्ति निहित है और यदि नवरात्र के दिनों में मनोयोगपूर्वक साधना की जाय, तो सर्वशक्तिमान माता की विशेष शक्ति और आशीष प्राप्त होता है, जिससे साधक बड़े से बड़ा काम सहज रूप से सम्पन्न कर लेता है। श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या चैत्र नवरात्रि के अवसर पर आयोजित विशेष व्याख्यानमाला के आठवें दिन साधकों को वर्चुअल संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिस तरह हनुमान जी ने एकनिष्ठ हो प्रभु श्रीराम की साधना, आराधना की, उसी का परिणाम था वे लंका में राक्षसों के बीच पहुंचे और प्रभु श्रीराम के कार्य का डंका बजाया। इसी तरह राक्षसों के मध्य रहने वाले विभीषण ने भी प्रभु की भक्ति पाई। उन्होंने कहा कि दुनिया में जितने भी प्राणी है, उन सभी में मनुष्य श्रेष्ठ है। यह श्रेष्ठता मनुष्य के विवेक के कारण है। इसमें उसके मन और बुद्धि की भूमिका शामिल है और इन्हें श्रेष्ठ बनाये रखने में साधना आवश्यक है। गायत्री महामंत्र की साधना से बुद्धि सन्मार्ग की ओर प्रेरित होती है और मन शांत रहता है। गायत्री मंत्र की साधना से आसुरीवृत्तियों का नाश होता है। मानस मर्मज्ञ श्रद्धेय डॉ पण्ड्या ने कहा कि भगवान के अवतारों की कथा सुनने का लाभ तभी है जब हमारे अंदर आदर्शों का अवतरण हो, हमारे मन में बैठे रावण जैसी सोच लंका जले एवं हृदय में भगवान श्रीराम स्थपित हो। श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या जी ने रामचरित मानस के विभिन्न चौपाइयों के माध्यम से निष्काम भाव से प्रभु के कार्यों एवं साधना से मिलने वाले भौतिक एवं आध्यात्मिक लाभों का विस्तार से उल्लेख किया और इस अवसर पर कुलाधिपति डॉ. पण्ड्या ने गोस्वामी तुलसीदास रचित श्रीरामचरित मानस में उल्लेखित भगवान के अवतार प्रक्र्रिया को विस्तारपूर्वक समझाया।

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