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भगवान श्री राम के चरण, शरण और आचरण बने जीवन का पाथेय - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने रामनवमी के पावन अवसर पर अवध विश्व विद्यालय, विवेकानन्द सभागार, श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में राष्ट्रऋषि श्री अशोक सिंहल जी को समर्पित राष्ट्रीय कवि संगम में सहभाग कर भगवान श्री राम जी के आदर्शों और भारतीय संस्कृति के मूल्यों को आत्मसात करने का संदेश देते हुये कहा कि सभी के हृदय में प्रभु श्री रामचन्द्र जी की भक्ति और राष्ट्र भक्ति का दीप जलता रहे।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

10 अप्रैल, ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने रामनवमी के पावन अवसर पर अवध विश्व विद्यालय, विवेकानन्द सभागार, श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में राष्ट्रऋषि श्री अशोक सिंहल जी को समर्पित राष्ट्रीय कवि संगम में सहभाग कर भगवान श्री राम जी के आदर्शों और भारतीय संस्कृति के मूल्यों को आत्मसात करने का संदेश देते हुये कहा कि सभी के हृदय में प्रभु श्री रामचन्द्र जी की भक्ति और राष्ट्र भक्ति का दीप जलता रहे। श्री राम वनगमन पथ काव्ययात्रा श्रीलंका से अयोध्या तक की दिव्य यात्रा है, जो कि महाशिवरात्रि से शुरू की गयी तथा आज रामनवमी के पावन अवसर पर 41 दिवसीय यात्रा में 232 स्थानों और 6500 किलोमीटर भ्रमण के पश्चात आज अयोध्या में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन के माध्यम से समापन हुआ। यह यात्रा श्री लंका से प्रभु श्री राम जी के पद चिन्ह और उनके संदेशों के साथ तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश और फिर उत्तरप्रदेश के अयोध्या पहंुची। इस सम्पूर्ण यात्रा में श्री राम जन्मभूमि की रज और रामेश्वरम का पवित्र जल प्रसाद स्वरूप वितरित किया गया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने देशवासियों को राम नवमी की शुभकामनाएं देते हुये कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का अद्भुत व्यक्तित्व, कर्तव्यपरायणता और श्रेष्ठ आदर्श सम्पूर्ण मानवता के लिए केवल इस युग में ही नहीं बल्कि हर युग के लिये प्रेरणा के स्रोत हैं। आज की युवा पीढ़ी भगवान श्री राम के आदर्शों को आत्मसात कर स्व निर्माण से राष्ट्र निर्माण की ओर बढ़ती रहे। स्वामी जी ने कहा कि श्रद्धा, शौर्य और आस्था का महासंगम है राम नवमी का पर्व। भगवान श्रीराम एक आदर्श चरित्र हैं। उन्होंने पद-प्रतिष्ठा से परे जीवन जिया, उनका सम्पूर्ण जीवन मानवीय आदर्शें से युक्त हैं। श्री राम जी का नैतिकता से युक्त अलौकिक व्यक्तित्व उनके जीवन को और उदात्त बनाता है। श्रीराम जी का संपूर्ण जीवन ही लोक कल्याण को समर्पित रहा है। उनके जीवन का लक्ष्य था समाज में सत्य और न्याय को स्थापित करना और इसके लिए उन्होंने जो मूल्य चुने और जो आदर्श स्थापित किये वे अद्भुत हैं।

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