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सच्चे मन की गयी साधना होती है सफल - डॉ. पण्ड्या


गायत्री तीर्थ शांतिकुंज व देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में साधकों ने अपने-अपने अनुष्ठान की पूर्णाहुति कीं। महिला मण्डल की बहिनों ने हवन के बाद कन्या भोज के साथ नवरात्र साधना का समापन किया। इस अवसर पर शांतिकुंज परिसर में बहिनों ने २७ कुण्डीय तथा देसंविवि परिसर में छात्रों ने ९ कुण्डीय गायत्री महायज्ञ सम्पन्न कराया, जिसमें साधकों ने कई पारियों में हवन कर प्राप्त ऊर्जा को जनहित में लगाने का संकल्प लिया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार १० मार्च। नवरात्र साधना के अंतिम दिन गायत्री तीर्थ शांतिकुंज व देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में साधकों ने अपने-अपने अनुष्ठान की पूर्णाहुति कीं। महिला मण्डल की बहिनों ने हवन के बाद कन्या भोज के साथ नवरात्र साधना का समापन किया। इस अवसर पर शांतिकुंज परिसर में बहिनों ने २७ कुण्डीय तथा देसंविवि परिसर में छात्रों ने ९ कुण्डीय गायत्री महायज्ञ सम्पन्न कराया, जिसमें साधकों ने कई पारियों में हवन कर प्राप्त ऊर्जा को जनहित में लगाने का संकल्प लिया। वहीं नवरात्र साधना के दौरान आयोजित विशेष व्याख्यानमाला के आखिरी दिन साधकों को संबोधित करते हुए अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि नवरात्र के दिनों में सच्चे मन की गयी साधना निश्चित रूप से सफल होती है। नियमित साधना एवं स्वाध्याय से वैचारिक क्षमता बढ़ती है,जो भविष्य को संवारने में अहम् भूमिका निभाता है। मानस मर्मज्ञ एवं प्रख्यात आध्यात्मिक विचारक श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या ने रामचरित मानस के विभिन्न चौपाइयों के माध्यम से साधकों को प्रभु की भक्ति पाने एवं उनके कार्य करने से मिलने वाली उपलब्धियों को विस्तार से बताया। उन्होंने नल, नील, रीछ वानर से लेकर हनुमान, विभीषण आदि के प्रभु श्रीराम के प्रति समर्पण करने से मिली सफलता का उल्लेख किया। कहा कि साधारण सा दिखने वाले वानर जब प्रभु श्रीराम के बताये कार्यों में निस्वार्थ भाव से जुट गये तो उसका कायाकल्प हो गया। अनेक जीवनोपयोगी पुस्तकों के लेखक श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या ने कहा कि भगवान के साथ सच्चे मन से साझेदारी निभाने वाला कभी घाटे में नहीं रहता। इस अवसर पर संगीत भाइयों ने ‘श्रीराम भक्ति ऐसी श्रद्धा उभारती है ...’ सुगम संगीत गाकर उपस्थित साधकों को साधनात्मक जीवनचर्या अपनाने के लिए उल्लसित किया। इसके साथ ही दो अप्रैल से प्रारंभ हुए श्रीरामचरित मानस में श्रीरामवचनामृत विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यानमाला का समापन हो गया। इस अवसर पर अनेक युवाओं ने इस चैत्र नवरात्रि को अपने जीवन के सबसे अमूल्य क्षण बताते हुए श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या जी से मिले मार्गदर्शन को जीवनभर अपनाने की बात कही। तो वहीं अनेक गायत्री साधकोंं ने इसे बहुमूल्य धरोहर बताया। उधर शांतिकुंज के मुख्य सत्संग हॉल में आयोजित साधकों को संबोधित करते हुए देवसंस्कृति विवि के कुलपति श्री शरद पारधी ने साधना से प्राप्त ऊर्जा को समाज के हित में लगाने के आवाहन किया। इस अवसर नवरात्र अनुष्ठान में आये साधकों ने गायत्री परिवार द्वारा संचालित हो रहे विभिन्न रचनात्मक कार्यक्रम को गति देने का संकल्प लिया। इस दौरान देश-विदेश से आये नर-नारी उपस्थित रहे। हुए विभिन्न संस्कार - संस्कार प्रकोष्ठ के प्रभारी श्री शिवप्रसाद मिश्र के नेतृत्व में श्रीरामनवमी के पावन अवसर पर पुंसवन, नामकरण, मुण्डन, जनेऊ, गुरुदीक्षा आदि संस्कार सैकड़ों की संख्या में निःशुल्क सम्पन्न कराये गये। तो वहीं नवदंपतियों ने पवित्र अग्नि की साक्षी में एक दूसरे का हाथ थामकर वैवाहिक जीवन के सूत्र में बँधे।

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