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जनजागरण एवं नदियों को जीवंत बनायें रखने के लिये आरती एक नवोदित प्रयोग


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने राष्ट्रीय स्वाभिमान आन्दोलन एवं यमुना मिशन द्वारा आयोजित नदी संवाद में सहभाग कर यमुना जी की समस्याओं और समाधान पर चर्चा की।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 12 अप्रैल। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने राष्ट्रीय स्वाभिमान आन्दोलन एवं यमुना मिशन द्वारा आयोजित नदी संवाद में सहभाग कर यमुना जी की समस्याओं और समाधान पर चर्चा की। तालकटोरा इंडोर स्टेडियम, नई दिल्ली में आयोजित नदी संवाद में कष्र्णि पीठाधीश्वर, रमण रेती, स्वामी गुरुशरणानंदजी महाराज, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, मलूकपीठधीश्वर श्री राजेन्द्रदास जी, गीता मनीषी स्वामी श्री ज्ञानानन्द जी, श्री के एन गोविंदाचार्य जी, यमुना मिशन संस्थापक प्रदीप बंसल जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग किया। माँ यमुना जी की स्थिति पर चिंतन करते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि नदियां तो देश की समृृद्धि का प्रतीक होती हंै। वे मन को शान्ति, शीतलता प्रदान करती हैं। बढ़ते प्रदूषण और गिरते गंदे नालों के कारण आज ये जीवनदायिनी नदियां रोगादायिनी बनती जा रही हैं इसलिये नदियों को जीवंत और अविरल बनाये रखने के लिये आस्था के साथ जागरूकता का होना नितांत आवश्यक है। स्वामी जी ने कहा कि नदियों को जीवंत बनाये रखने के लिये एक नवोदित प्रयोग की तरह देश की नदियों के तटों पर आरती का क्रम आरम्भ करना जरूरी है जिससे नदियों व पर्यावरण का संरक्षण, ग्लोबल वार्मिग, जलवायु परिवर्तन आदि को कम किया जा सकता है। यमनोत्री से लेकर प्रयागराज तक यमुना जी उत्तराखण्ड, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश से होकर गुजरती है परन्तु अपनी इस यात्रा में दिल्ली के 22 किलोमीटर में वह सबसे अधिक प्रदूषित होती है। उन 22 किलोमीटर में 18 गंदे नाले और उसमें से वजीराबाद बांध और ओखला बांध के बीच 15 नाले यमुना में गिरते हंै जिससे यमुना के जल में अमोनिया की मात्रा 1Û12 पार्टिकल्स पर मिलियन पहुंच गयी है जो स्वास्थ्य के लिये अत्यंत हानिकारक है। अमोनिया जल में ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देता है। ़यदि जल में अमोनिया की मात्रा अधिक हो तो जल मछलियों के लिये विषाक्त होता है। साथ ही अमोनिया से मानव के आंतरिक अंगों को नुकसान हो सकता है। अगर हम दिल्ली की ही बात करें तो लगभग 3269 मिलियन गैलन गंदा पानी, औद्योगिक कचरा, पेपर मिल, चीनी मिल, गन्ना पेरन का कचरा सीधे तौर पर यमुना में डाला जा रहा है जिससे दिल्ली से अगरा जाते-जाते यमुना लगभग मृतप्राय हो गयी है। यमुना को जीवंत बनाना है तो जन जागरूकता नितांत आवश्यक है। ताजमहल का दीदार करने आने वाले हजारों लोगों को भी नदियों की निर्मलता और अविरलता का संदेश देना जरूरी है। देश की नदियां अविरल और निर्मल हो इसलिये एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग भी बंद करना होगा।

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