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हमारी पवित्रता, पर्यावरण और परम्परा चले साथ-साथ पट्टाभिषेक ही नहीं पवित्राभिषेक - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने श्री गुरूरामराय उदासीन आश्रम, पंच कुइयां रोड, आराम बाग, पहाड़गंज, नई दिल्ली में आयोजित डा स्वामी शिवाचन्द्र दास जी के पट्टाभिषेक में सहभाग किया।

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज़ ब्यूरो

ऋषिकेश, 15 अप्रैल। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने श्री गुरूरामराय उदासीन आश्रम, पंच कुइयां रोड, आराम बाग, पहाड़गंज, नई दिल्ली में आयोजित डा स्वामी शिवाचन्द्र दास जी के पट्टाभिषेक में सहभाग किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जिस धरती के शासक मन से संत नहीं होते उस धरती की पीड़ाओं के अंत नहीं होते। यही कारण है कि आज हम शासन जो शुचिता देख रहे है कि वे मन से संत है और संस्कारों से युक्त जीवन है। इसके पीछे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ परिवार की तपस्या है साधना है। हमने हजारों दशकों, पिछली शताब्दियों को जाना और उन शताब्दियों के बाद अब जो काल आया है वह स्वर्णिम काल है; वह परिवर्तन की बेला है उस साधना और तप की शक्ति अद्भुत है। पट्टाभिषेक में एक चादर ही नहीं ओढ़ायी जाती बल्कि पट्टे या पद तो कुछ समय के लिये ही रहते है परन्तु ये पट्टाभिषेक उस पवित्र परम्परा और पवित्रता का अभिषेक है। हमारी पवित्रता, पर्यावरण और परम्परा साथ-साथ चले क्योंकि ये रहेंगे तो संस्कृति टिकेगी प्रकृति बचेगी और हमारी हर प्रवृति बचेगी। स्वामी जी ने कहा कि भारत की संस्कृति, आध्यात्मिकता एवं इतिहास अत्यंत समृद्ध है। हमारी संस्कृति की आधरशिला हमारे विरासत स्थल हमारे दिव्य मंदिर हैं। इन स्थलों का आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक महत्त्व अद्भुत है। भारतीय संस्कृति मानवता के लिये उत्कृष्ट मूल्य वरदान है इसलिये हम सभी का परम कर्तव्य है कि श्रद्धापूर्वक इसके संरक्षण में योगदान प्रदान करें।

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