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आओ बनें माँ गंगा के हनुमान* - स्वामी चिदानन्द सरस्वती*


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने देशवासियों को श्री हनुमान जन्मोत्सव की शुभकामनायें देते हुये कहा कि श्री राम भक्त हनुमान जी भक्ति, शक्ति और सद्बुद्धि के दाता है।

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज़ ब्यूरो

ऋषिकेश, 16 अप्रैल। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने देशवासियों को श्री हनुमान जन्मोत्सव की शुभकामनायें देते हुये कहा कि श्री राम भक्त हनुमान जी भक्ति, शक्ति और सद्बुद्धि के दाता है। हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आओ गंगा जी के हनुमान बनें अर्थात हम सभी को तत्पर होकर माँ गंगा सहित अन्य नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिये कार्य करना होगा। जिस प्रकार हनुमान जी का सम्पूर्ण जीवन प्रभु राम जी के लिये समर्पित था उसी तरह ‘‘गंगा काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम’’ के सूत्र को आत्मसात करना होगा तभी हम अपनी नदियों को जीवंत और जाग्रत बना सकते हैं। स्वामी जी ने कहा कि महाबली हनुमान जी अपने लिये नहीं जिये, अपने लिये, कुछ भी तो नहीं किया उन्होंने सब कुछ प्रभु के लिये तथा जो भी है वह सब भी प्रभु का है और इसी भाव से स्वयं को भी प्रभु को समर्पित कर दिया। तेरा तुझको सौंपते क्या लागत है मोर। ’राम काज कीन्हें बिना, मोहि कहाँ विश्राम।’ जब तक राम काज; सेवा कार्य पूर्ण न हो विश्राम कहाँ, सुख कहाँ, चैन कहाँ। इस समय हमारी प्राणदायिनी और जीवनदायिनी नदियों का संरक्षण करना ही राम काज है, यही यज्ञ है, यही योग है, यही दान है और यही ध्यान है। प्रभु हम सभी को भी हनुमान जी जैसी उदारता, प्रभु भक्ति, अटूट सेवाभाव और समर्पण भाव प्रदान करें ताकि हम भी समाज और समष्टि की सेवा में अपने को समर्पित कर सके यही है हम सभी के लिये हनुमान जी का संदेश और इसी भाव से ही हम सभी के हृदयों में हनुमान जी का अवतरण हो। जय हनुमान। आज हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर परमार्थ निकेतन में सुन्दर काण्ड का पाठ, योग, ध्यान और हनुमान चालीसा का पाठ किया। आज की गंगा आरती दिव्य थी, देश - विदेश से आये हजारों-हजारों साधकों ने मंत्र मुग्ध होकर गंगा आरती का आनन्द लिया। अनेक श्रद्धालुओं ने कहा कि परमार्थ निकेतन गंगा आरती अपने आप में स्वर्ग के सामना है। हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार पवनपुत्र हनुमान का धरती पर अवतरण हुआ था। बजरंगबली की महिमा अपरंपार है और उनकी आराधना भी एक रामबाण है।

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