परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने आज ‘अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤¥à¤² दिवस’ के अवसर सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤•-à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• और पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ और धरोहरों के संरकà¥à¤·à¤£ का संदेश देेते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• और à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤² हमारे पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ की दी हà¥à¤ˆ अनमोल विरासत है इनका संरकà¥à¤·à¤£ और देखà¤à¤¾à¤² करना अतà¥à¤¯à¤‚त आवशà¥à¤¯à¤• है।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश, 18 अपà¥à¤°à¥ˆà¤²à¥¤ परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने आज ‘अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤¥à¤² दिवस’ के अवसर सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤•-à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• और पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ और धरोहरों के संरकà¥à¤·à¤£ का संदेश देेते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• और à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤² हमारे पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ की दी हà¥à¤ˆ अनमोल विरासत है इनका संरकà¥à¤·à¤£ और देखà¤à¤¾à¤² करना अतà¥à¤¯à¤‚त आवशà¥à¤¯à¤• है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने कहा कि किसी à¤à¥€ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° का à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ उसके इतिहास और वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ की नींव पर आधारित होता है। देश का इतिहास जितना गौरवमयी होगा उसका à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ à¤à¥€ उतना ही सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¿à¤® होगा। इतिहास का संरकà¥à¤·à¤£ कर हम उजà¥à¤µà¤² à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कर सकते है। पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में बनी इमारतें, मनà¥à¤¦à¤¿à¤°, लिखे गठशासà¥à¤¤à¥à¤° और साहितà¥à¤¯ को हमेशा जीवंत और जागà¥à¤°à¤¤ रखकर पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की सà¥à¤¦à¥ƒà¥ नींव पर सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया जा सकता है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कहा कि हमारी धरोहर केवल हमारी इमारतें और मनà¥à¤¦à¤¿à¤° ही नहीं बलà¥à¤•à¤¿ वन, परà¥à¤µà¤¤, à¤à¥€à¤², मरà¥à¤¸à¥à¤¥à¤², नदियां, सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤•, हमारी आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• धरोहर व शासà¥à¤¤à¥à¤° à¤à¥€ हैं इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ संरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ करना मानवता के लिठअतà¥à¤¯à¤‚त महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है। हमारे सà¤à¥€ विरासत सà¥à¤¥à¤² हमारे देश की अमूलà¥à¤¯ संपतà¥à¤¤à¤¿ है अतः आने वाली पीढियों और मानवता के हित के लिठइनका संरकà¥à¤·à¤£ करना नितांत आवशà¥à¤¯à¤• है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कहा कि वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में हमारी महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ विरासत हमारे जल सà¥à¤°à¥‹à¤¤ और विलà¥à¤ªà¥à¤¤ हो रहे जीव à¤à¤µà¤‚ वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ हैं जिनका संरकà¥à¤·à¤£ किये बिना धरती पर मानव जीवन समà¥à¤à¤µ नहीं है। विलà¥à¤ªà¥à¤¤ हो रहें जीव और वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• और सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• इमारतों के मूल को सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रखना हम सà¤à¥€ की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ है परनà¥à¤¤à¥ विडंबना तो यह है कि हमारे दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नषà¥à¤Ÿ किया जा रहा है जो चितंन का विषय है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कहा कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ विविधता से यà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° है, यहां पर सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• तथा धारà¥à¤®à¤¿à¤• विविधता वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है इसके बावजूद à¤à¥€ हमारे à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤² हमें अपने अतीत के à¤à¤°à¥‹à¤–े से परिचित कराते हैं जिससे जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के साथ मानसिक à¤à¤µà¤‚ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• शांति à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है। à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤² समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° को à¤à¤•à¤¤à¤¾ के सूतà¥à¤° में बांधने का à¤à¥€ कारà¥à¤¯ करते हैं जिससे à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¤¾, à¤à¤•à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ अखणà¥à¤¡à¤¤à¤¾ को बल मिलता है इसलिठपà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤•, à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• और सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• धरोहरों के संरकà¥à¤·à¤£ हेतॠअपना योगदान देना अतà¥à¤¯à¤‚त आवशà¥à¤¯à¤• है।