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रक्तदान करने से होती है मनुष्य के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत : श्रीमहन्त रविन्द्र पुरी


माँ मंशा देवी मन्दिर तथा काॅलेज प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष श्रीमहन्त रविन्द्र पुरी जी महाराज, एवं मुख्य अतिथि एस.पी. सिटी स्वतंत्र कुमार, सिंह, डाॅ. मन मोहन गुप्ता, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी व डाॅ. सरस्वती पाठक द्वारा द्वीप प्रज्जवलन कर किया गया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार 20 अप्रैल एस.एस.एम.जे.एन.पी.जी. काॅलेज में आज हिमालयन हाॅस्पिटल (जौलीग्रांट), माँ गंगे ब्लड सैंटर, हरिद्वार, उत्तरांचल पंजाबी महासभा, हरिद्वार द्वारा स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का शुभारम्भ अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, माँ मंशा देवी मन्दिर तथा काॅलेज प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष श्रीमहन्त रविन्द्र पुरी जी महाराज, एवं मुख्य अतिथि एस.पी. सिटी स्वतंत्र कुमार, सिंह, डाॅ. मन मोहन गुप्ता, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी व डाॅ. सरस्वती पाठक द्वारा द्वीप प्रज्जवलन कर किया गया। रक्तदान शिविर के मुख्य अतिथि एस.पी. सिटी स्वतंत्र कुमार ने रक्तदान हेतु छात्र-छात्राओं को प्रेरित करने के लिए व्याख्यान एवं अपने अनुभव बताये गये। उन्होंने कहा कि रक्तदान महादान है जो एक मनुष्य की जान को बचाता है। उन्होंने कहा कि रक्त दान मानवता की बहुत बड़ी सेवा है। स्वैच्छिक रक्तदान शिविर में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, माँ मंशा देवी मन्दिर तथा काॅलेज प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष श्री महन्त रविन्द्र पुरी जी महाराज ने कहा कि प्रत्येक स्वस्थ मनुष्य अपना रक्तदान कर सकता है। श्री महन्त ने कहा कि रक्तदान प्राणदाता है, धीरे-धीरे लोग इसका महत्व समझने लगे हैं तथा रक्तदान के प्रति जागरूकता का माहौल भी देखने को मिल रहा है। रक्तदान करने से मनुष्य के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है एवं जो लोग रक्तदान के प्रति अनेकों भ्रान्तियाँ फैलाते हैं, उनसे सचेत रहें. उन्होंने कहा कि काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने अपने संदेश में सभी अतिथियो एवं रक्तदान दाताओं का धन्यवाद प्रेषित करते हुए कहा कि आपकी रक्त की बूंद का प्रत्येक कतरा किसी के जीवन का स्त्रोत बन सकता है। रक्त दान जीवन प्रदान करने वाली गतिविधि है। यही कारण है कि इसे महादान कहा जाता है। डाॅ. बत्रा ने कहा कि ‘दीजिए मौका अपने खून को किसी की रगों में बहने का, यही लाजबाव तरीका है कई जिस्मों में जिंदा रहने का।’ ‘कहीं खो ना बैठो अपने भीतर के इंसान को, थोड़ा-थोड़ा खुद को दुनियाँ में बांटते चलों, के माध्यम से डाॅ. बत्रा ने स्वस्थ व्यक्ति से रक्तदान करने का आह्वान किया।

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