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नदियों के अस्तित्व को बनाये रखने हेतु जन सहभागिता जरूरी स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और केंद्रीय परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी जी की जल, पर्यावरण, नदियों के संरक्षण के साथ ही विभिन्न समसामयिक विषयों पर विशेष चर्चा हुई।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 24 अप्रैल। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और केंद्रीय परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी जी की जल, पर्यावरण, नदियों के संरक्षण के साथ ही विभिन्न समसामयिक विषयों पर विशेष चर्चा हुई। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने रूद्राक्ष की माला पहनाकर माननीय नितिन गडकरी जी का अभिनन्दन करते हुये कहा कि श्री गडकरी जी अपने आप में एक ऐतिहासिक पुरूष हैं। वे जो कहते है उसे करते भी हैं, वे एक्टिव है, क्रिएटिव है, इनोवेटिव है और इफेक्टिव भी है। भारत और भारतीयों को श्री गडकरी जी से बहुत आशायें हैं। उन्होंने भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों को उत्कृष्टता के साथ सम्भाला और उनकी स्फूर्ति, गति और शक्ति अद्भुत है। वे जब भी मिलते है, जिससे भी मिलते है दिल खोलकर मिलते है और सभी को प्रोत्साहित करते हैं कि देश को आगे बढ़ाने के लिये हम सभी को एकत्र होकर प्रयास करना होगा ताकि भारत विश्व गुरू के पथ पर आगे बढ़ता रहे। दिल्ली से देहरादून और दिल्ली से हरिद्वार आने वाले एक्सप्रेस वे के कारण सुविधाजनक सफर के साथ कम समय में पूर्ण होने वाली यात्रा के लिये माननीय मंत्री जी को स्वामी जी ने बधाई दी। स्वामी जी ने कहा कि माँ गंगा की 2525 किलो मीटर की यात्रा में अभी भी कई स्थानों पर गंदे नालों को गंगा में प्रवाहित किया जा रहा हैं जो कि चिंतन का विषय है। इस हेतु ठोस योजना बनाने की जरूरत है। जहां तक उत्तराखंड की बात है तो गंगोत्री से लेकर हरिद्वार तक माँ गंगा को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त रखने के लिये जो भी उचित कदम सरकार द्वारा उठाये जायेंगे उसमें परमार्थ निकेतन पूर्ण रूप से सहयोग प्रदान करेगा। हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा कि एक भी प्रदूषित व गंदा नाला गंगा जी में प्रवाहित न होने पाये। स्वामी जी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात है कि गंगा सबकी है, नदियां सबकी हैं, सरकार अपने ढ़ंग से बेहतरीन कार्य कर रही है लेकिन हम सब को भी मिलकर आगे आना होगा तथा इस कार्य को प्राथमिकता देनी होगी क्योंकि शुद्ध जल ही स्वस्थ जीवन का आधार है। जल स्वच्छ होगा तो समाज स्वस्थ होगा और भारत समृद्ध बनेगा। गंगा और अन्य सभी नदियों को स्वच्छ रखने के लिये बड़े पैमाने पर ज्ञान, तकनीक और विशेषज्ञता की आवश्यकता है। जनसमुदाय में जागरूकता बढ़ाने के साथ ही गंगा को स्वच्छ रखने के लिये युवाओं, शोधकर्ताओं और पेशेवरों को सहयोग के लिये प्रोत्साहित कर एक साथ लाने की आवश्यकता है ताकि स्वच्छ गंगा के नारे को हकीकत बनाया जा सके। गंगा को स्वच्छ करने के लिये तकनीक के साथ जमीनी स्तर पर भी पहल करने की जरूरत है ताकि भावी पीढ़ियां भी स्वच्छ और निर्मल गंगा के दर्शन कर पायें।

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