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स्वास्थ्य शिविर के साथ पतंजलि वैलनेस सेंटर का लोकार्पण


पतंजलि योगपीठ दशकों से स्वास्थ्य सेवाओं का निरंतर विस्तार कर रहा है। स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण का संकल्प पूरी मानवता को आरोग्य प्रदान करना है। इसी क्रम में पतंजलि योगपीठ-2 को पतंजलि वैलनेस सेंटर के रूप में रूपान्तरित कर आज मानवता की सेवा हेतु लोकार्पित किया गया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार, 25 अप्रैल। पतंजलि योगपीठ दशकों से स्वास्थ्य सेवाओं का निरंतर विस्तार कर रहा है। स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण का संकल्प पूरी मानवता को आरोग्य प्रदान करना है। इसी क्रम में पतंजलि योगपीठ-2 को पतंजलि वैलनेस सेंटर के रूप में रूपान्तरित कर आज मानवता की सेवा हेतु लोकार्पित किया गया। आज से ही पतंजलि वैलनेस में स्वास्थ्य शिविरों की वृंखला प्रारंभ हुई जिसमें सबसे पहले पूज्य स्वामी जी महाराज ने योग साधकों को योगासनों व पतंजलि प्रणीत आठों प्राणायामों का अभ्यास कराया। इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि वैलनेस पतंजलि योगपीठ-2 का नया अवतरण है। यह दुनिया का सबसे बड़ा वैलनेस सेंटर है। उन्होंने कहा कि हमने पतंजलि वैलनेस की इंटिग्रेटेड पैथी के रूप में एक बहुत बड़ा अनुष्ठान प्रारंभ किया है। हमारा उद्देश्य है कि संसार के सभी लोग स्वस्थ हों, निरोगी हों तथा योग, यज्ञ, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा अर्थात् हमारी मूल प्रकृति और मूल संस्कृति से जुड़कर अपनी सारी विकृतियों से मुक्ति पा सकें। यह एक ऐसी जीवन पद्धति है जिससे पूरा संसार पुनः उपकृत होगा और दोबारा अपने मूल, अपनी निजता व अपने स्वरूप से जुड़ेगा। सब स्वस्थ होंगे, अपने आत्मबोध को उपलब्ध होते हुए योग से अपना आत्मनिर्माण करते हुए निर्वाण के, पूर्णता के, मुक्ति के पथ पर आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि हम ईश्वर के प्रति कृतज्ञ हैं कि उन्होंने हमें इस बड़े कार्य हेतु निमित्त बनाया। पूज्य स्वामी जी ने कहा कि कोरोना के बाद लोगों के मस्तिष्क पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, साथ ही अनेक साध्य-असाध्य रोगों यथा- लीवर सिरोसिस, किडनी के रोग, हृदयरोग, श्वास रोग, अर्थराइटिस, मधुमेह, मस्तिष्क विकार, पार्किंसन, वैरिकोज वेन, माइग्रेन, कमर दर्द, घुटनों का दर्द, सर्वाइकल स्पोंडोलाइटिस, सियाटिका, ओवेरियन सिस्ट, यूटीआई, कोलाइटिस, उदर रोग आदि ने पूरी मानवता को जकड़ लिया है। इन सभी रोगों का उपचार योग, यज्ञ, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा की संयुक्त इंटिग्रेटेड पैथी में ही संभव है। स्वामी ने कहा कि पतंजलि वैलनेस में योग व यज्ञ चिकित्सा के साथ-साथ पंचकर्म में स्नेहन, स्वेदन, वमन, विरेचन, नस्य, शिरोधारा, अभ्यंग, रक्तमोक्षण, अक्षितर्पण के साथ रोगानुसार विविध बस्तियाँ यथा- कमर दर्द में कटि बस्ति व पूर्ण पृष्ठ बस्ति, सर्वाइकल में ग्रीवा बस्ति, घुटनों के दर्द में जानु बस्ति, हृदय रोग में हृदय बस्ति, श्वासगत रोग में लंग बस्ति, उदर रोग में उदर बस्ति आदि से चिकित्सा की जाती है। इसके अतिरिक्त प्राकृतिक चिकित्सा में अलाबु, एक्यूपंक्चर, मड थैरेपी, मिट्टी पट्टी, सन-बॉथ, जलनेति, सूत्रनेति, कपड़धौति, त्रटक, रंग चिकित्सा तथा विविध प्रकार के लेप आदि का प्रयोग किया जाता है।

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