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गृहमंत्री गुजरात हर्ष सांघवी पहुंचे ऋषिकेश परमार्थ निकेतन


परमार्थ निकेतन में गृहमंत्री गुजरात, खेल मंत्री, युवा मामले और सांस्कृतिक गतिविधियां, आबकारी एवं मद्यनिषेध मंत्री, सीमा सुरक्षा और जेल मंत्री, गृह, पुलिस आवास और आपदा प्रबंधन हर्ष सांघवी पधारे, उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर आशीर्वाद लिया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 26 अप्रैल। परमार्थ निकेतन में गृहमंत्री गुजरात, खेल मंत्री, युवा मामले और सांस्कृतिक गतिविधियां, आबकारी एवं मद्यनिषेध मंत्री, सीमा सुरक्षा और जेल मंत्री, गृह, पुलिस आवास और आपदा प्रबंधन हर्ष सांघवी पधारे, उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर आशीर्वाद लिया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती और हर्ष सांघवी जी ने विभिन्न सामाजिक, समसामयिक और जल व पर्यावरण संरक्षण के विषयों पर चर्चा की। स्वामी जी ने उन्हें पर्यावरण, नदियों के संरक्षण और वृक्षारोपण के विषय में जन जागरूकता अभियान चलाने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने युवाओं को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण हेतु जागरूक करने के लिये भी विचार विमर्श किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत को जल की एक-एक बूँद को संरक्षित करने, जल अपव्यय को रोकने, प्राकृतिक संसाधनों के समान वितरण के साथ ही भूजल को बढ़ाने की जरूरत है। जल संरक्षण के लिये स्थायी और स्थानीय समाधान की आवश्यकता है। आज विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि मानव ने अपनी बुद्धि से अनेक आविष्कार और नई कृतियों को जन्म दिया है बौद्धिक संपदा दिवस उसी के जश्न का अवसर है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में बौद्धिक सृजन को प्रकृति के संवर्द्धन के लिये लगाये। श्री हर्ष सांघवी जी ने तापी नदी के तट पर आरती का शुभारम्भ करने हेतु स्वामी जी को आमंत्रित करते हुये कहा कि परमार्थ गंगा आरती की वैश्विक स्तर पर अपनी एक उत्कृष्ट पहचान है। यह केवल आध्यात्मिक आयोजन ही नहीं है बल्कि इस पावन तट से जल, नदियों और पर्यावरण संरक्षण का संदेश प्रसारित किया जा रहा है। हम सभी मिलकर हमारी सभी नदियों के तट पर इस क्रम का शुभारम्भ करें तो निश्चित रूप से जीवनदायिनी नदियों को पुनः जागृत और जीवंत बनाया जा सकता है। हर्ष सांघवी जी ने स्वामी जी के पावन सान्निध्य में गंगा आरती में सहभाग किया। स्वामी जी ने रूद्राक्ष का पौधा देकर उनका अभिनन्दन किया।

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