सनातन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¾ व सनातन धरà¥à¤® के जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤§à¤° जगदà¥à¤—à¥à¤°à¥‚ शंकराचारà¥à¤¯ जी के पà¥à¤°à¤¾à¤•à¤Ÿà¥à¤¯ दिवस के अवसर पर परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ के पावन सानà¥à¤¨à¤¿à¤§à¥à¤¯ में पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒà¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ विशà¥à¤µ शानà¥à¤¤à¤¿ यजà¥à¤ž में महनà¥à¤¤ हठयोगी , कथा वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ रामेशà¥à¤µà¤°à¤¦à¤¾à¤¸ बापू, महंत ऋषिशà¥à¤µà¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦, महामंडलेशà¥à¤µà¤° सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हरि चेतनाननà¥à¤¦, साधà¥à¤µà¥€ à¤à¤—वती सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, महंत कमलदास और योगाचारà¥à¤¯ विमल बधाव ने जगदà¥à¤—à¥à¤°à¥‚ शंकराचारà¥à¤¯ का पूजन और विशà¥à¤µ शानà¥à¤¤à¤¿ हवन में आहà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ कर विशà¥à¤µ शानà¥à¤¤à¤¿ की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾
रिपोर्ट - ऑल नà¥à¤¯à¥‚ज़ बà¥à¤¯à¥‚रो
6 मई, ऋषिकेश। सनातन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¾ व सनातन धरà¥à¤® के जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤§à¤° जगदà¥à¤—à¥à¤°à¥‚ शंकराचारà¥à¤¯ जी के पà¥à¤°à¤¾à¤•à¤Ÿà¥à¤¯ दिवस के अवसर पर परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ के पावन सानà¥à¤¨à¤¿à¤§à¥à¤¯ में पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒà¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ विशà¥à¤µ शानà¥à¤¤à¤¿ यजà¥à¤ž में महनà¥à¤¤ हठयोगी , कथा वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ रामेशà¥à¤µà¤°à¤¦à¤¾à¤¸ बापू, महंत ऋषिशà¥à¤µà¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦, महामंडलेशà¥à¤µà¤° सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हरि चेतनाननà¥à¤¦, साधà¥à¤µà¥€ à¤à¤—वती सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, महंत कमलदास और योगाचारà¥à¤¯ विमल बधाव ने जगदà¥à¤—à¥à¤°à¥‚ शंकराचारà¥à¤¯ का पूजन और विशà¥à¤µ शानà¥à¤¤à¤¿ हवन में आहà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ कर विशà¥à¤µ शानà¥à¤¤à¤¿ की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ के साथ विशà¥à¤µà¤¾à¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• कर परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ को संरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ करने का संदेश दिया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने कहा कि वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में à¤à¤¾à¤°à¤¤ ही नहीं बलà¥à¤•à¤¿ पूरे विशà¥à¤µ को अगर किसी चीज की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है तो वह है ‘‘शानà¥à¤¤à¤¿â€™â€™ और आदि गà¥à¤°à¥‚ शंकराचारà¥à¤¯ जी का तो जीवन ही यजà¥à¤ž था ‘इदमॠराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¾â€™â€™ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने राषà¥à¤Ÿà¥à¤° में à¤à¤•à¤¤à¤¾ और शानà¥à¤¤à¤¿ बनाये रखने के लिये अपने को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया। आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ के शिखर पर विराजमान सà¥à¤µà¤¯à¤‚ सागर सी गहराई और गंगा सी पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ को जीने वाले जगदà¥à¤—à¥à¤°à¥‚, शंकराचारà¥à¤¯ जी ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ के चारों दिशाओं में चार पीठजà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ , शà¥à¤°à¥ƒà¤‚गेरी शारदा पीठ, दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¿à¤•à¤¾ पीठ, गोवरà¥à¤§à¤¨ पीठको सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ कर सनातन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को जीवंत बनाये रखने हेतॠअà¤à¥‚तपूरà¥à¤µ योगदान दिया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कहा कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• और आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¤•à¤¤à¤¾ के लिठआदिगà¥à¤°à¥‚ शंकराचारà¥à¤¯ ने उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में हिमालय की गोद में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम में दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ और दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के मंदिर में उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ को रखा। वहीं पूरà¥à¤µà¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के मंदिर में पशà¥à¤šà¤¿à¤® के पà¥à¤œà¤¾à¤¾à¤°à¥€ और पशà¥à¤šà¤¿à¤® à¤à¤¾à¤°à¤¤ के मंदिर में पूरà¥à¤µà¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ को रखा, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पूजा हेतॠ‘केसर’ कशà¥à¤®à¥€à¤° से तो ‘नारियल’ केरल से मंगवाये जाने की पà¥à¤°à¤¥à¤¾ चलायी जल, गंगोतà¥à¤°à¥€ से और पूजा रामेशà¥à¤µà¤° धाम में की जाती है, कà¥à¤¯à¤¾ अदà¥à¤à¥à¤¤ दृषà¥à¤Ÿà¤¿ थी उनकी ताकि à¤à¤¾à¤°à¤¤ चारों दिशाओं में आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•, आरà¥à¤¥à¤¿à¤• और सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• रूप से मजबूत हो तथा à¤à¤•à¤¤à¤¾ के सूतà¥à¤° में बंधा रह सके। आदि गà¥à¤°à¥‚ शंकराचारà¥à¤¯ जी ने छोटी सी आयॠमें à¤à¤¾à¤°à¤¤ का à¤à¥à¤°à¤®à¤£ कर हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज को à¤à¤• सूतà¥à¤° मंे पिरोने हेतॠजीवनपरà¥à¤¯à¤‚त पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने केरल से केदारनाथ तक तथा कशà¥à¤®à¥€à¤° से कनà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ तक, दकà¥à¤·à¤¿à¤£ से उतà¥à¤¤à¤° तक, पूरà¥à¤µ से पशà¥à¤šà¤¿à¤® तक पूरे à¤à¤¾à¤°à¤¤ का à¤à¥à¤°à¤®à¤£ किया और वह à¤à¥€ à¤à¤¸à¥‡ समय जब कमà¥à¤¯à¥à¤¨à¤¿à¤•à¥‡à¤¶à¤¨ और टà¥à¤°à¤‚ासपोरà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ के कोई साधन नहीं थे à¤à¤¸à¥‡ समय यातà¥à¤°à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ कर à¤à¤•à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ का संदेश दिया। जगदà¥à¤—à¥à¤°à¥‚ शंकराचारà¥à¤¯ जी ने ‘‘बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® सतà¥à¤¯à¤®à¥, जगनà¥à¤®à¤¿à¤¥à¥à¤¯à¤¾â€™â€™ का संदेश दिया। ’’बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® ही सतà¥à¤¯ है और जगत माया’’ का बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® वाकà¥à¤¯ दिया। ’’अहं बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤¸à¥à¤®à¤¿â€™â€™ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ मैं ही बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® हूठऔर सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° हूà¤à¥¤ जो आतà¥à¤®à¤¾ और परमातà¥à¤®à¤¾ की à¤à¤•à¤°à¥‚पता पर आधारित है। इसमें à¤à¤•à¤¤à¤¾ और अà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ का अदà¥à¤à¥à¤¤ दरà¥à¤¶à¤¨ है। ‘‘सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° हूà¤, सब में हूठके उदà¥à¤˜à¥‹à¤·â€™â€™ ‘‘सब बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® है और सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° है’’ ये सूतà¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के संरकà¥à¤·à¤£ की à¤à¥€ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ देते हैं। जगदà¥à¤—à¥à¤°à¥‚ शंकराचारà¥à¤¯ जी ने वैदिक धरà¥à¤® और दरà¥à¤¶à¤¨ को पà¥à¤¨à¤ƒ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित करने हेतॠअथक पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किये। तमाम विविधताओं से यà¥à¤•à¥à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ को à¤à¤• करने में अहम à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤¯à¥€à¥¤ आज उनके अवतरण दिवस पर परमारà¥à¤¥ निकेतन में विशेष हवन किया गया।