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माँ खुश तो भगवान खुश-स्वामी चिदानन्द सरस्वती


गंगा सप्तमी के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने माँ गंगा का अभिषेक कर विश्व शान्ति की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि गंगा एक नदी नहीं बल्कि हम भारतीयों की ‘माँ’ है और आज अन्तर्राष्ट्रीय मातृ दिवस भी है। माँ गंगा एकमात्र ऐसी नदी है जो तीनों लोकों स्वर्गलोक, पृथ्वीलोक और पातल लोक से होकर बहती है।

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज़ ब्यूरो

ऋषिकेश। आज गंगा सप्तमी के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने माँ गंगा का अभिषेक कर विश्व शान्ति की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि गंगा एक नदी नहीं बल्कि हम भारतीयों की ‘माँ’ है और आज अन्तर्राष्ट्रीय मातृ दिवस भी है। माँ गंगा एकमात्र ऐसी नदी है जो तीनों लोकों स्वर्गलोक, पृथ्वीलोक और पातल लोक से होकर बहती है। राजा भगीरथ जो कि इक्ष्वाकु वंश के एक महान राजा थे उन्होंने कठोर तपस्या कर माँ गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर अपने पूर्वजों को निर्वाण प्रदान कराने हेतु घोर तप किया था। राजा भगीरथ की वर्षों की तपस्या के बाद, माँ गंगा भगवान शिव की जटाओं से होती हुईं पृथ्वी पर अवतरित हुईं। पृथ्वी पर जिस स्थान पर माँ गंगा अवतरित हुई वह पवित्र उद्गम स्थान गंगोत्री है। माँ गंगा ने न केवल राजा भागीरथ के पूर्वजों के उद्धार किया बल्कि तब से लेकर आज तक वह लाखों-लाखों लोगों को ‘जीवन और जीविका’ प्रदान कर रही हैं तथा भारत की लगभग 40 से 45 प्रतिशत आबादी गंगा जल पर आश्रित है। स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में युवाओं के लिये एक ही संदेश, ‘‘जल है तो जीवन है’’ ‘‘जल है तो कल है’’। जल को बचाना मतलब अपने भविष्य को बचाना।

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