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भारत के संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पधारे परमार्थ निकेतन।


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती के पावन सान्निध्य में भारत के संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पधारे परमार्थ निकेतन। गंगा जी की दिव्य आरती में मेघवाल और प्रसिद्ध मानस कथाकार मुरलीधर ने सहभाग कर विश्व शान्ति हवन में विशेष आहुतियां समर्पित की।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 15 मई। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती के पावन सान्निध्य में भारत के संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पधारे परमार्थ निकेतन। गंगा जी की दिव्य आरती में मेघवाल और प्रसिद्ध मानस कथाकार मुरलीधर ने सहभाग कर विश्व शान्ति हवन में विशेष आहुतियां समर्पित की। ऋषिकेश म्यूजिक फेस्टिवल - 2022 के समापन समारोह के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने माननीय मंत्री श्री मेघवाल जी को रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट कर उनका अभिनन्दन किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि संगीतमय संस्कृति केवल जीवन को नहीं बल्कि पूरे परिवार को भी सुरीला बना देती है। संगीत बाहर के शोर को तो शान्त करता ही है बल्कि अन्दर के शोर को भी शांत कर देता है। ‘‘संगीत है शक्ति ईश्वर कि हर सुर में बसे है राम, रागी जो सुनाये रगिनी रोगी को मिले आराम।’’ संगीत की संस्कृति ने पवित्र नदियों के तटों पर जन्म लिया। ये संस्कृति के वे मंत्र है जो पूरे विश्व को एकता के सूत्र में बांधते हैं; एक स्वर में बांधते है और वे स्वर है सद्भाव का, समरसता का और समता का। संगीत ने कभी भेदभाव नहीं किया। यह सब के लिये और सदा के लिये है। आज पूरे विश्व में योग के माध्यम से भारत का संगीत बज रहा है। स्वामी जी ने माननीय संस्कृति मंत्री और संस्कृति मंत्रालय का धन्यवाद करते हुये कहा कि पूरे विश्व को भीतर के संगीत से परिचित कराने के लिये तथा भारतीय संस्कृति को नये ढ़ंग से प्रस्तुत करने हेतु भारत सरकार संस्कृति मंत्रालय उत्कृष्ट कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक भारत की संस्कृति और संस्कार जिंदा है तब तक भारत जिंदा रहेगा। माननीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति महान है क्योंकि यहां योग है। भारत पावर योगा नहीं करता बल्कि योग के माध्यम से आत्मा का परमात्मा से मिलन करता है। उन्होंने कहा कि भारतीय विद्या अमर है। ऋषिकेश म्यूजिक फेस्टिवल के समापन अवसर पर भारत सरकार, उत्तराखंड सरकार, संगीत नाटक अकादमी और परमार्थ निकेतन का धन्यवाद देते हुये कहा कि संगीत की कोई भाषा नहीं होती, संगीत की लय तो सब समझते हैं। भारतीय संगीत पूरी दुनिया में परचम फैलायेगा।

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