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भगवान श्री राम भारतीय संस्कृति के उन्नायक - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के पावन गंगा तट पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में मानस कथाकार श्री मुरलीधर जी के श्रीमुख से हो रही मासिक मानस कथा के तीसरे दिन श्री राम कथा की महिमा का गुणगान किया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 18 मई। परमार्थ निकेतन के पावन गंगा तट पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में मानस कथाकार श्री मुरलीधर जी के श्रीमुख से हो रही मासिक मानस कथा के तीसरे दिन श्री राम कथा की महिमा का गुणगान किया। मानस कथा के माध्यम से देश के विभिन्न राज्यों से आये श्रद्धालुओं को पर्यावरण, जल, नदियों के संरक्षण और पौधारोपण का महत्व के साथ विभिन्न विशिष्ट विभूतियों के विचारों को श्रवण करने का अवसर भी प्राप्त हो रहा हैं। मानस प्रेमियों को उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी, संसदीय कार्य मंत्री, वित्त मंत्री और शहरी विकास मंत्री एवं अन्य कई विभागों के मंत्री उत्तराखंड सरकार श्री प्रेमचंद अग्रवाल जी और उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री श्री सुबोध उनियाल जी का सान्निध्य और विचार सुनने का अवसर प्राप्त हुआ। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भगवान श्री राम भारतीय संस्कृति के उन्नायक हैं। माता कैकेयी उनके राज्याभिषेक की पूर्व संध्या पर ही उन्हें 14 साल के वनवास पर भेज देती है और अयोध्या की गद्दी अपने पुत्र भरत के लिए आरक्षित कर लेती है परन्तु माता के इस आदेश को भी भगवान श्री राम सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं। स्वामी जी ने कहा कि भगवान श्री राम के विविध चरित्र हैं तथा उनके सभी चरित्र मर्यादा को स्थापित करने वाले हैं। उन्होंने विभिन्न संस्कृतियों के बीच समरसता स्थापित करने का कार्य किया हैं और समाज में फैली विविधता में एकता लाने, सत्य की स्थापना करने और दुष्टों का नाश करने हेतु स्वयं को समर्पित कर दिया। स्वामी जी ने कहा कि भगवान श्री राम अलौकिक गुणों के स्वामी हैं। भगवान श्री राम एक ऐसे नायक हैं, जिन्होंने धर्म और जाति की संकीर्णता के दायरे से समाज को मुक्त किया। वे वास्तव में समाज के एक आदर्श नायक हैं और हमेशा रहेंगे। उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री श्री सुबोध उनियाल जी ने कहा कि प्रभु श्री राम जी की कथा को पर्यावरण और जल संरक्षण से जोड़कर उसके लाइव प्रसारण से न केवल भारत में बल्कि विश्व के अनेेक देशों में पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण और पौधों के संरक्षण का संदेश प्रसारित किया जा रहा है। वास्तव में आज इसकी अत्यंत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण और नदियों के सरंक्षण हेतु स्वामी जी महाराज का हम सभी को सदैव मार्गदर्शन प्राप्त होता हैं।

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