परमारà¥à¤¥ निकेतन में ऋषिकà¥à¤®à¤¾à¤°à¥‹à¤‚, विदेशी सैलानियों और परमारà¥à¤¥ निकेतन के सेवकों ने धूमधाम से मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ का परà¥à¤µ मनाया। सà¥à¤¨à¤¾à¤¨, दान, धà¥à¤¯à¤¾à¤¨, यजà¥à¤ž à¤à¤µà¤‚ माठगंगा के तटों की सà¥à¤µà¤šà¥à¤›à¤¤à¤¾ के साथ आज के पावन परà¥à¤µ की शà¥à¤°à¥‚आत हà¥à¤ˆà¥¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ महाराज की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से परमारà¥à¤¥ गà¥à¤°à¥‚कà¥à¤² के ऋषिकà¥à¤®à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ ने पौधा रोपण कर परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ हरित मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ मनायी।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश, 15 जनवरी। परमारà¥à¤¥ निकेतन में ऋषिकà¥à¤®à¤¾à¤°à¥‹à¤‚, विदेशी सैलानियों और परमारà¥à¤¥ निकेतन के सेवकों ने धूमधाम से मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ का परà¥à¤µ मनाया। सà¥à¤¨à¤¾à¤¨, दान, धà¥à¤¯à¤¾à¤¨, यजà¥à¤ž à¤à¤µà¤‚ माठगंगा के तटों की सà¥à¤µà¤šà¥à¤›à¤¤à¤¾ के साथ आज के पावन परà¥à¤µ की शà¥à¤°à¥‚आत हà¥à¤ˆà¥¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ महाराज की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से परमारà¥à¤¥ गà¥à¤°à¥‚कà¥à¤² के ऋषिकà¥à¤®à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ ने पौधा रोपण कर परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ हरित मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ मनायी। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने पशà¥à¤šà¤¿à¤® की धरती से पूरà¥à¤µ की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का परचम लहराते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि ’सूरà¥à¤¯ का à¤à¤• राशि से दूसरी राशि में जाना संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ काल होता है और वरà¥à¤· में 12 संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ होती है परनà¥à¤¤à¥ पौष माह की संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ विशेष होती है इस दिन सूरà¥à¤¯, पृथà¥à¤µà¥€ के उतà¥à¤¤à¤°à¥€ गोलारà¥à¤¦à¥à¤§ की ओर मà¥à¥œ जाता है। परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पौष माह में सूरà¥à¤¯ मकर राशी में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करता है उस दिन मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ का परà¥à¤µ मनाया जाता है। यह अनेक बदलावों और संकेतों को जनà¥à¤® देता है। मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° से पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ की ओर अगà¥à¤°à¤¸à¤° होना। हमारे जीवन में à¤à¥€ जो अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ रूपी अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° है उसे समापà¥à¤¤ कर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ की ओर; सकारातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ की ओर; सà¥à¤µà¤šà¥à¤›à¤¤à¤¾ की ओर अगà¥à¤°à¤¸à¤° होना ही संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ है। शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾à¤¯à¤£ को नकारातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• माना गया है और उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¯à¤£ को सकारातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• माना गया है। इस दिन पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हर कलियां और फूल खिलने लगते है; पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में बहार आने लगती है उसी तरह पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जीवन à¤à¥€ खिल उठे, जीवन में à¤à¥€ बहार आय,े पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ आये यह तà¤à¥€ समà¥à¤à¤µ है जब हम अपनी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को समà¥à¤à¤¾à¤² कर रखे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी महाराज ने कहा ‘मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ के दिन सà¥à¤µà¤¯à¤‚ के सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ से पूरà¥à¤µ नदियों को à¤à¥€ करायें महासà¥à¤¨à¤¾à¤¨, जब नदियां सà¥à¤µà¤šà¥à¤› रहेगी तà¤à¥€ हमारा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ à¤à¥€ सारà¥à¤¥à¤• होगा। आज मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ के अवसर पर नदियों को सà¥à¤µà¤šà¥à¤› करने की कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ को जनà¥à¤® दे। साथ ही à¤à¤•à¤² उपयोग पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• का उपयोग न करने का संकलà¥à¤ª गà¥à¤°à¤¹à¤£ करे यही आज हम सà¤à¥€ की ओर से पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के लिये महादान होगा।’