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मासिक धर्म स्वच्छता दिवस’ मासिक धर्म एक प्राकृतिक और स्वस्थ जैविक प्रक्रिया देवी स्वस्थ तो देश स्वस्थ - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन में 75 वें अमृत महोत्सव के पावन अवसर पर पर्यावरण, नदियों और माँ गंगा को समर्पित मानस कथाकार मुरलीधर के मुख से प्रवाहित हो रही मानस कथा के दिव्य मंच से परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी ने आज मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के अवसर पर ‘देवी स्वस्थ तो देश स्वस्थ’ का संदेश दिया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 28 मई। परमार्थ निकेतन में 75 वें अमृत महोत्सव के पावन अवसर पर पर्यावरण, नदियों और माँ गंगा को समर्पित मानस कथाकार मुरलीधर के मुख से प्रवाहित हो रही मानस कथा के दिव्य मंच से परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी ने आज मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के अवसर पर ‘देवी स्वस्थ तो देश स्वस्थ’ का संदेश दिया। ‘मासिक धर्म स्वच्छता‘ सबसे चुनौतीपूर्ण विकासात्मक मुद्दों में से एक है, जिसका सामना हमारी मातायें और बहने प्रतिमाह करती हैं, विशेष रूप से भारत जैसे विकासशील देशों में, मानसिकता, रीति-रिवाज और पूर्वाग्रह के कारण महिलाओं को मासिक धर्म की स्वास्थ्य देखभाल हेतु अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मासिक धर्म एक प्राकृतिक और स्वस्थ जैविक प्रक्रिया है, इसके बावजूद भारतीय समाज में कई स्थानों पर आज भी अशुद्ध माना जाता है। सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव और वर्जनाओं के कारण किशोर लड़कियों को मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में शिक्षित करना एक बड़ी समस्या है। मासिक धर्म लड़कियों में यौवन की शुरुआत के साथ जुड़ा हुआ है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि मासिक धर्म केवल महिलाओं के स्वास्थ्य का विषय नहीं है बल्कि यह पूरे परिवार और राष्ट्र के स्वास्थ्य का विषय है। माहवारी पर चुप्पी तोड़ना इसलिये भी जरूरी है क्योंकि मासिक धर्म हमारी बेटियों के जीवन का फुलस्टाप बनता जा रहा है इसलिये हर मंच से इस पर चितंन और एक्शन जरूरी है।

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