Latest News

ब्रह्मलीन स्वामी मुक्तानंद महाराज की स्मृति में श्रद्धांजलि, 13 अखाड़ों के शीर्ष संतों ने दी मुक्तानंद को श्रद्धांजलि


मुक्तानंद चाहते थे कि पतंजलि योगपीठ आध्यात्मिक दृष्टि से, आंतरिक दृष्टि से सुदृढ़ हो, पतंजलि के संन्यासी अत्यंत यशस्वी हों, संस्था की राष्ट्र और विश्वव्यापी योजनाओं का नेतृत्व हमारे संन्यासी करें। आने वाले 5-10 वर्षों में हमारे संन्यासी इतने समर्थ हो जाएँगे कि एक स्वामी मुक्तानंद जी नहीं यहाँ सैकड़ों स्वामी मुक्तानंद उसी संकल्प से अनुप्राणित होकर योगधर्म, ऋषिधर्म को निभाएँगे, ऐसा मेरा विश्वास है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार, 29 मई। ब्रह्मलीन स्वामी मुक्तानंद महाराज की स्मृति में पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में श्रद्धांजलि/कृतज्ञता सभा का आयोजन किया गया जिसमें सनातन संस्कृति से जुड़े देश के शीर्ष संतगणों ने अपनी भावांजलि, सुमनांजलि, कुसुमांजलि भेंट की। इस अवसर पर पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि पूज्य स्वामी मुक्तानंद जी महाराज एक निष्काम भाव सच्चे संत व पतंजलि की ऊर्जा के केन्द्र थे। वे एक जीवनमुक्त महापुरुष, समस्त ऐषणाओं से मुक्त, अकाम-निष्काम कर्मयोगी, प्रबल प्रकृति प्रेमी, वैयाकरण विद्वान्, योगी महात्मा संन्यासी थे। उनके प्रति कृतज्ञता, उपकारों का पुण्य स्मरण करते हुए उनकी सप्तदशी का यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है। उन्होंने कहा कि उनके महाप्रयाण पर पतंजलि योगपीठ परिवार के साथ-साथ पूरा संत समाज शोक संतप्त है। इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने स्वामी मुक्तानंद को याद कर भाव विह्वल हो गए। उन्होंने कहा कि स्वामी के कार्यों और योगदान को पुण्य स्मरण करते हुए हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पण करते हैं। इस अवसर उन्होंने कहा कि मुक्तानंद चाहते थे कि पतंजलि योगपीठ आध्यात्मिक दृष्टि से, आंतरिक दृष्टि से सुदृढ़ हो, पतंजलि के संन्यासी अत्यंत यशस्वी हों, संस्था की राष्ट्र और विश्वव्यापी योजनाओं का नेतृत्व हमारे संन्यासी करें। आने वाले 5-10 वर्षों में हमारे संन्यासी इतने समर्थ हो जाएँगे कि एक स्वामी मुक्तानंद जी नहीं यहाँ सैकड़ों स्वामी मुक्तानंद उसी संकल्प से अनुप्राणित होकर योगधर्म, ऋषिधर्म को निभाएँगे, ऐसा मेरा विश्वास है। हम श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज के साथ कई दौर की वार्ता के बाद इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि भविष्य में दिव्य योग मंदिर (ट्रस्ट) व पतंजलि योगपीठ (ट्रस्ट) का ट्रस्टी कोई गृहस्थी नहीं अपितु केवल संन्यासी ही होगा। दिव्य योग मंदिर (ट्रस्ट) व पतंजलि संन्यासाश्रम में हमारी वरिष्ठ संन्यासिनी बहनें साध्वी देवप्रिया, साध्वी देवमयी, साध्वी देवश्रुति, साध्वी देवादिति व साध्वी देववरण्या आदि रहेंगी। इसी प्रकार पतंजलि योगपीठ (ट्रस्ट) में स्वामी परमार्थदेव, स्वामी आर्षदेव, स्वामी ईशदेव, स्वामी विदेहदेव रहेंगे। पतंजलि गुरुकुलम् में स्वामी मित्रदेव, स्वामी हरिदेव व स्वामी आत्मदेव आदि रहेंगे। योजना को मूर्तरूप प्रदान करने के लिए वैधानिक प्रक्रियाओं को शीघ्र पूर्ण कर लिया जाएगा। इस अवसर पर जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद महाराज ने कहा कि स्वामी मुक्तानंद जी महाराज परमार्थ का दूसरा नाम हैं। जिस प्रकार पेड़-पौधे-फूल अपना सब कुछ दूसरों को अर्पण कर देते हैं उसी प्रकार उन्होंने भी दूसरों के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। पतंजलि विविध क्षेत्रों में भविष्य की सभी तरह की उन्नतियों का आधार बन रही है। यहाँ पर न केवल योग-औषधियों के द्वारा रोगों का उपचार किया जा रहा है अपितु पतंजलि उद्यमों के द्वारा आर्थिक रोगों को भी दूर कर रहा है। चाणक्य ने भी कहा है कि अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष यही जीवन का आधार है। उसी प्रकार मनुष्य का जन्म भी ज्ञान अर्जन के बाद अर्थ अर्जन के लिए ही हुआ है। उसके उपरान्त पूर्ण अर्जन करना उसका तीसरा कर्तव्य है। आज पतंजलि ने देश के सम्मुख अनेकों उत्तराधिकारियों को भविष्य में नेतृत्व करने के लिए व सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित करने के लिए प्रस्तुत किया है। अंत में मैं पुनः मुक्तानंद जी को याद करते हुए उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।

Related Post