पतित पावनी गंगा को देव नदी कहा जाता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° गंगा सà¥à¤µà¤°à¥à¤— से धरती पर आई है। मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि गंगा शà¥à¤°à¥€ हरि विषà¥à¤£à¥ के चरणों से निकली है और à¤à¤—वान शिव की जटाओं में आकर बसी है।
रिपोर्ट - वैध दीपक कà¥à¤®à¤¾à¤°
पतित पावनी गंगा को देव नदी कहा जाता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° गंगा सà¥à¤µà¤°à¥à¤— से धरती पर आई है। मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि गंगा शà¥à¤°à¥€ हरि विषà¥à¤£à¥ के चरणों से निकली है और à¤à¤—वान शिव की जटाओं में आकर बसी है। शà¥à¤°à¥€ हरि और à¤à¤—वान शिव से घनिषà¥à¤ संबंध होने पर गंगा को पतित पाविनी कहा जाता है। मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि गंगा में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ के सà¤à¥€ पापों का नाश हो जाता है। . à¤à¤• दिन देवी गंगा शà¥à¤°à¥€ हरि से मिलने बैकà¥à¤£à¥à¤ धाम गई और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जाकर बोली," पà¥à¤°à¤à¥ ! मेरे जल में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने से सà¤à¥€ के पाप नषà¥à¤Ÿ हो जाते हैं लेकिन मैं इतने पापों का बोठकैसे उठाऊंगी? मेरे में जो पाप समाà¤à¤‚गे उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कैसे समापà¥à¤¤ करूंगी?" . इस पर शà¥à¤°à¥€ हरि बोले,"गंगा! जब साधà¥, संत, वैषà¥à¤£à¤µ आ कर आप में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करेंगे तो आप के सà¤à¥€ पाप घà¥à¤² जाà¤à¤‚गे।" . गंगा नदी इतनी पवितà¥à¤° है की पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• हिंदू की अंतिम इचà¥à¤›à¤¾ होती है उसकी असà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का विसरà¥à¤œà¤¨ गंगा में ही किया जाठलेकिन यह असà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ जाती कहां हैं? . इसका उतà¥à¤¤à¤° तो वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• à¤à¥€ नहीं दे पाठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि असंखà¥à¤¯ मातà¥à¤°à¤¾ में असà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का विसरà¥à¤œà¤¨ करने के बाद à¤à¥€ गंगा जल पवितà¥à¤° à¤à¤µà¤‚ पावन है। गंगा सागर तक खोज करने के बाद à¤à¥€ इस पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ का पार नहीं पाया जा सका। . सनातन धरà¥à¤® की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मृतà¥à¤¯à¥ के बाद आतà¥à¤®à¤¾ की शांति के लिठमृत वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की असà¥à¤¥à¤¿ को गंगा में विसरà¥à¤œà¤¨ करना उतà¥à¤¤à¤® माना गया है। यह असà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ सीधे शà¥à¤°à¥€ हरि के चरणों में बैकà¥à¤£à¥à¤ जाती हैं।जिस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का अंत समय गंगा के समीप आता है उसे मरणोपरांत मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ मिलती है। इन बातों से गंगा के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ हिनà¥à¤¦à¥‚ओं की आसà¥à¤¥à¤¾ तो सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• है। . वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से गंगा जल में पारा अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ (मरà¥à¤•à¤°à¥€)विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ होता है जिससे हडà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में कैलà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤® और फोसà¥à¤«à¥‹à¤°à¤¸ पानी में घà¥à¤² जाता है। जो जलजनà¥à¤¤à¥à¤“ं के लिठà¤à¤• पौषà¥à¤Ÿà¤¿à¤• आहार है। वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से हडà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में गंधक (सलà¥à¤«à¤°) विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ होता है जो पारे के साथ मिलकर पारद का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होता है। इसके साथ-साथ यह दोनों मिलकर मरकरी सलà¥à¤«à¤¾à¤‡à¤¡ सालà¥à¤Ÿ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करते हैं। हडà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में बचा शेष कैलà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤®, पानी को सà¥à¤µà¤šà¥à¤› रखने का काम करता है। धारà¥à¤®à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से पारद शिव का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है और गंधक शकà¥à¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है। सà¤à¥€ जीव अंततःशिव और शकà¥à¤¤à¤¿ में ही विलीन हो जाते हैं।....